Last Updated: Thursday, September 5, 2013, 09:15

मुंबई : रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर के तौर पर बुधवार को पदभार संभालने के बाद रघुराम गोविंद राजन की ओर से कुछ अहम प्रस्ताव दिए गए। जिसकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं।
-नए बैंक लाइसेंस जनवरी, 2014 तक या इसके बाद जल्द ही।
-बिमल जालान बैंकिंग लाइसेंस आवेदकों की जांच करने वाली बाह्य समिति के अध्यक्ष होंगे
-आरबीआई विदेशी बैंकों के घरेलू परिचालनों पर और नियामकीय व निगरानी नियंत्रण चाहता है
-बैंकों को नयी शाखाएं खोलने के लिए आरबीआई की मंजूरी लेनी होगी
-नपे तुले ढंग से एसएलआर में कमी का संकेत
-मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा 2 दिन टली क्योंकि सभी घटनाक्रमों पर विचार करने के लिए और समय की जरूरत
-बाजार को सतत रूप से उदार बनाया जाएगा, निवेश पर पाबंदियां हटाई जाएंगी एवं सेबी के साथ मिलकर निर्णय किए जाएंगे।
-आरबीआई की प्राथमिक भूमिका मौद्रिक स्थिरता बनाए रखना, लेकिन वृद्धि दर को गति देना भी महत्वपूर्ण।
-निर्यातकों के लिए वायदा एक्सचेंज के निरस्त सौदों पर पुन: बुकिंग सीमा बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जाएगी।
-आयातकों को भी इसी तरह की 25 प्रतिशत की सीमा तक सुविधा की अनुमति होगी।
-मुद्रा और सरकारी प्रतिभूति बाजारों के विकास के लिए 10 साल की ब्याज दर के वायदा अनुबंधों में नकद निपटान की सुविधा शुरू होगी।
-फौरी लेनदेन में ब्याज दरों पर ब्याज दर वायदा कारोबार शुरू करने की समीक्षा की जाएगी।
-डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल मौद्रिक नीति प्रारूप को मजबूत करने वाली समिति की अगुवाई करेंगे, तीन महीने में रिपोर्ट सौंपेंगे।
-नाचिकेत मोर की अध्यक्षता में समिति वित्तीय समावेश के प्रति दृष्टिकोण का आकलन करेगी।
-रुपया का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की जरूरत
-बैंकों को बैलेंस शीट साफ रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और जहां भी जरूरी होगा बैंकों को पूंजी जुटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
-ऋण वसूली न्यायाधिकरणों एवं परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों में तेजी लाने की जरूरत।
-ऋण वसूली तंत्र की कार्यक्षमता में सुधार लाने की जरूरत।
-उद्योग के कुप्रबंधन के बावजूद प्रवर्तकों का कंपनी की बागडोर पर पकड़ बनाए रखने का कोई ईश्वरीय अधिकार नहीं।
-प्रवर्तकों को अपने विफल उद्यमों के पुनर्पूंजीकरण के लिए बैंकिंग तंत्र का इस्तेमाल करने का कोई अधिकार नहीं।
-अवरद्ध ऋणों की समस्या घबराहट में डालने वाली नहीं।
-रुपये में निपटान पर जोर
-चालू खाते के घाटे के वित्त पोषण के लिए सुरक्षित धन लाने में बैंकों को मदद दी जाएगी।
-बैंकों को नए एफसीएनआर.बी डालर कोषों को 3.5 प्रतिशत की तय दर पर बदलने की सुविधा दी जाएगी।
-शेयर पूंजी के 50 प्रतिशत के बराबर विदेशी उधारी की मौजूदा सीमा बढ़ाकर 100 प्रतिशत की जाएगी।
-मुद्रास्फीति सूचकांक वाले बचत पत्र नवंबर के अंत तक जारी किए जाएंगे जो सीपीआई के नए सूचकांक से संबद्ध होंगे।
-कहीं भी कभी भी भुगतान को वास्तविकता बनाने का लक्ष्य।
-एसएमएस आधारित धन हस्तांतरण प्रणाली का इस्तेमाल करने की संभावना के अध्ययन के लिए एक तकनीकी समिति गठित की जाएगी।
-व्यक्तियों की वित्तीय साख का इतिहास तैयार करने में विशेष पहचान पत्र, आधार के इस्तेमाल पर जोर दिया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 5, 2013, 09:15