Last Updated: Tuesday, September 17, 2013, 14:11

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक इस सप्ताह की मध्य तिमाही में समीक्षा में अपनी मौद्रिक नीतियों में संभवत: कोई फेरबदल नहीं करेगा। केंद्रीय बैंक नकदी प्रवाह पर अंकुश सख्त कर सकता है ताकि रुपये की विनिमय दर में स्थिरता आए और मुद्रास्फीति पर लगाम लग सके। यह बात एचएसबीसी की एक रपट में कही गई है।
इस वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी की राय में फिलहाल आरबीआई की प्रमुख चिंता है मुद्रास्फीतिक आशंकाओं पर लगाम लगाना और रपए की दर में स्थिरता लाना है। एचएसबीसी का कहना है कि इस सप्ताह अमेरिका के संघीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा यदि बांड खरीदने के कार्यक्रम में नरमी शुरू कर दी गई तो विदेशी विनिमय बाजार में रुपये पर फिर दबाव बन सकता है।
एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री (भारत और आसियान) लीफ एस्केसेन ने कहा कि हमें उम्मीद है कि आरबीआई रेपो दर को मौजूदा स्तर पर बनाए रखेगा और घरेलू करेंसी की विनिमय दर में स्थिरीकरण के उपाय करेगा। रुपया फिलहाल 62 प्रति डालर के आस पर है। 28 अगस्त को यह गिर कर एक समय 68.85 के नए न्यनूतम स्तर तक चला गया था। इस बीच मंहगे प्याज और अन्य खाद्य उत्पादों के कारण थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में बढ कर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, September 17, 2013, 14:11