Last Updated: Thursday, May 31, 2012, 19:57
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था देश विदेश के तंग हालात में फंस कर पिछले वित्त वर्ष 2011-12 की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च 2012) में मात्र 5.3 प्रतिशत बढ सकी और इसके चलते वाषिर्क आर्थिक वृद्धि 6.5 प्रतिशत तक ही सीमित रही।
इससे पिछले वित्त के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.4 प्रतिशत वृद्धि हुई थी और आखिरी तिमाही की वृद्धि 9.2 प्रतिशत थी। पिछले करीब नौ वर्ष में चौथी तिमाही की यह न्यूनतम वृद्धि है।
यहां आज जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च, 2012 को समाप्त वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में कारखाना क्षेत्र का उत्पादन एक वर्ष पहले की तुलना में 0.3 प्रतिशत संकुचित हो गया। वर्ष 2010-11 में इसी दौरान इस क्षेत्र का उत्पादन सालाना आधार पर 7.3 प्रतिशत उंचा रहा था।
इस बार आखिरी तिमाही में कृषि उत्पादन भी मात्र 1.7 प्रतिशत बढा जबकि एक वर्ष पूर्व इसी दौरान कृषि वृद्धि 7.5 प्रतिशत थी।वर्ष 2011-12 की सामान रुझान के विपरीत चौथी तिमाही में अच्छे प्रदर्शन के साथ खनन उद्योग की उत्पादन वृद्धि एक साल पहले के 0.6 प्रतिशत की तुलना में बढ़ कर 4.3 प्रतिशत रही।
इसी दौरान निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर गिर कर 4.8 प्रतिशत रह गयी जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इस क्षेत्र ने 8.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। व्यापार, होटल, परिवहन और दूरसंचार सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर भी इस बार चौथी तिमाही में 7 प्रतिशत तक ही रह गयी जबकि एक वर्ष पूर्व इसी दौरान वृद्धि 11.6 प्रतिशत थी। बिजली, गैस और जलापूर्ति सेवा की चौथी तिमाही की वृद्धि दर सालाना आधार पर 5.1 प्रतिशत की तुलना में 4.9 प्रतिशत रही।
बीमा और रीयल एस्टेट सेवा क्षेत्र की तिमाही वृद्धि एक साल पहले के 10 प्रतिशत के स्तर पर बनी रही। वित्त वर्ष 2011-12 में कारखाना क्षेत्र की वृद्धि गिर कर 2.5 प्रतिशत रही जबकि इसे पिछले साल इस क्षेत्र ने 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी। वर्ष के दौरान खनन क्षेत्र का उत्पादन पिछले इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 0.9 प्रतिशत गिर गया। वर्ष 2010-11 में खान और खनन क्षेत्र ने 5 प्रतिशत उत्पादन वृद्धि दर्ज की थी।
कृषि, वानकी और मत्स्य उत्पादन क्षेत्र की वृद्धि 2011-12 में केवल 2.8 प्रतिशत पर सीमित रही। वर्ष 2010-11 में इस क्षेत्र की वृद्धि सात प्रतिशत थी। इसी तहत निर्माण क्षेत्र की वृद्धि एक साल पहले के आठ प्रतिशत की तुलना में 5.3 प्रतिशत तक ही सीमित रही।
वित्त वर्ष 2011-12 में केवल बिजली, गैस और जलापूर्ति क्षेत्र ही इससे पिछले साल से अच्छा प्रदर्शन कर सका। इस दौरान इस क्षेत्र की सालाना वृद्धि 3 प्रतिशत की तुलना में बढ कर 7.9 प्रतिशत रही। घरेलू अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति दबाव, उंची ब्याज दर के साथ साथ पश्चिम यूरोपीय बाजार के संकट तथा भारतीय निर्यात उद्योग के परंपरागत बाजारों में नरमी का घरेलू उद्योगों के कारोबार पर असर पड़ा है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 31, 2012, 19:57