ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली: वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 2011-12 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट गुरुवार को सदन में पेश किया। इस सर्वे रिपोर्ट में भारत को टिकाऊ, समावेशी वृद्धि और संपूर्ण विकास को मजबूती प्रदान करने के लिए नीतिगत सुझाव दिए गए हैं। सर्वेक्षण में सरकार द्वारा विभिन्न जोरदार उपायों के साथ मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने की भी बात कही गई है।
इन उपायों में विशेष रूप से खाद्यान्न और बुनियादी कृषि उत्पादों में सुधार लाने तथा वित्तीय एवं राजस्व घाटे पर नियंत्रण पाने की नीतियां शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने तौर पर मौद्रिक नीति को चुस्त बनाया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस प्रकार सरकार विशेष रूप से समावेशी विकास की ओर अधिक ध्यान देने की स्थिति में आ गई है। सर्वेक्षण में सिफारिश की गई है कि सरकार की मुख्य चिंता अर्थव्यव्स्था की उत्पादकता को बढ़ाना और आय वितरण में सुधार लाना होना चाहिए।
रिपोर्ट में 2012-13 के दौरान 7.6 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान व्यक्त किया है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान महंगाई दर 6.5 से सात फीसदी के बीच रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। चालू वित्त वर्ष के दौरान देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगा। देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के 6.9 फीसदी की तुलना में तीसरी तिमाही में 6.1 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है।
आर्थिक सर्वे रिपोर्ट 2011- 12 की खास बातें:-सरकार द्वारा मुद्रास्फीति को काबू में लाने के जोरदार उपाय।
-सर्वेक्षण में वर्ष 2011-12 में सकल घरेलू उत्पाद में 6.9 फीसदी वृद्धि रहने का अनुमान।
-वर्ष 2012-13 में आर्थिक वृद्धि 7.6 प्रतिशत रहने की संभावना।
-चालू वित्त वर्ष के अंत तक मुद्रास्फीति 6.5 से 7.0 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना।
- आर्थिक सर्वे में वर्ष 2011.12 के दौरान आर्थिक वृद्धि 6.9 प्रतिशत पर बरकरार।
-2012 में मुद्रास्फीति की दर में कमी आएगी।
-कृषि क्षेत्र में 2.5 फीसदी विकास दर का अनुमान।
-बुनियाद ढांचे के अंतर के समाधान हेतु मल्टीब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सुझाव।
-अप्रैल 2011- जनवरी 2012 के दौरान भारत के संचयी निर्यात में 23.5 फीसदी की वृद्धि।
-सेवा क्षेत्र में 9.4 फीसदी तक की वृद्धि और सकल घरेलू उत्पादन में इसका हिस्सा 59 फीसदी तक बढ़ा।
-आर्थिक वसूली में सुधार जारी रखने के मद्देनजर औद्योगिक वृद्धि दर 4 से 5 फीसदी रहने की उम्मीद।
-थोक मूल्य सूचकांक खाद्य मुद्रास्फीति जनवरी 2012 में गिरकर 1.6 फीसदी रह गई है जो फरवरी 2010 में 20.2 फीसदी थी।
-भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है।
-देश की राजकोषीय ऋण रेटिंग 2007-12 में 2.98 फीसदी बढ़ा।
-वित्तीय सुदृढीकरण जारी, बचत और पूंजी निर्माण के बढ़ने की आशा है।
-इस वित्त वर्ष के पूर्वार्ध में निर्यात 40.5 फीसदी की दर से और आयात 30.4 फीसदी की दर से बढ़े।
-विदेशी व्यापार निष्पादन विकास का मुख्य संचालक बना रहेगा।
-विदेशी मुद्राभंडार में वृद्धि होगी जो लगभग सचूमा विदेशी ऋण को समाप्त करेगा।
-इस वित्त वर्ष में सामाजिक सेवाओं पर पर केंद्रीय व्यय बढ़कर 18.5 फीसदी हो जाएगा।
-2010-11 में मनरेगा के अधीन 5.49 करोड़ परिवारों को लाया गया।
-सतत विकास और जलवायु परिवर्तन को उच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
मुद्रास्फीति-वित्त वर्ष 2013 में मुद्रास्फीति में नरमी का अनुमान।
- मूल्य स्थिरता के उपायों पर जोर दिया जाएगा।
-मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति घटकर 6.5 से 7 फीसदी का अनुमान।
-वर्ष 2012 में WPI और CPI की मुद्रास्फीति के अंतर में कमी का अनुमान।
-खाद्य महंगाई बढ़ने के प्रमुख कारक-दूध,अंडा,मछली,मीट और खाद्य तेल।
-मुद्रास्फीति रोकने के लिए मौद्रिक नीति संबंधी कदम उठाए जाएंगे।
-आरबीआई ने मुद्रा तरलता पर जोर दिया।
-नीतिगत दरों और मुद्रास्फीति के बीच संबंधों का परीक्षण।
-शेयर बाजार और रीयल एस्टेट में बढ़े संपत्ति कीमतों से खतरा।
-तेल की बढ़ती कीमतों का मुद्रास्फीति पर असर का खतरा।
-सकल कीमतों की अस्थिरता के लिए उच्च खाद्य भंडारण पर जोर।
खाद्य कीमतों की स्थिरता की खातिर उपाय-उर्वरकों एवं कीटनाशकों के उपयोग के संबंध में जानकारी देने हेतु किसानों के लिए विस्तार और मार्गदर्शन कार्यक्रमों का आयोजन।
-एक योजनागत नीति के रूप में कृषि उत्पादों का अपेक्षाकृत कम मात्राओं में नियमित आयात करना।
-कुछ खास फसलों के लिए विशेष बाजार पर जोर।
-मंडी व्यवस्था को बेहतर करने की कोशिश की जाएगी।
-अंतर राज्यीय व्यापार बढ़ाने पर जोर।
-खराब होने वाली खाद्य वस्तुओं को एमपीएमसी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जा सकता है।
-कृषि उत्पादों की फसल कटाई अवसंरचना में अहम निवेशी अंतरों को ध्यान में रखते हुए संगठित व्यापार और कृषि को प्रोत्साहन।
-सरकार को खाद्यान्नों के आधुनिक भंडारण के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
कृषि-मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का अनुमान।
-2011-12 के दौरान कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों में 2.5 फीसदी विकास दर का अनुमान।
-2011-12 में कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों का सकल घरेलू उत्पाद में 13.9 फीसदी का लक्ष्य।
-खाद्यान्न भंडार 55.2 मिलियन टन।
-2011-12 के दौरान खाद्यान्नों का उत्पादन 250.42 मिलियन टन का अनुमान।
उद्योग -मौजूदा वित्त वर्ष में औद्योगिक विकास दर 4 से 5 फीसदी रहने की उम्मीद।
-जीडीपी में 6.9 फीसदी की वृद्धि
-खनन,विनिर्माण और विद्युत जैसे उद्योगों में 6.7 फीसदी की वृद्धि
-समग्र रोजगार में उद्योगों की हिस्सेदारी 16.2 फीसदी से बढ़कर 21.9 फीसदी।
-मौजूदा वर्ष में विद्युत क्षेत्र ने विकास दर में वृद्धि दर्ज की।
-आधारभूत वस्तुओँ और गैर टिकाउ वस्तुओं में 6.1 फीसदी की अपेक्षाकृत वृद्धि।
-आईआईपी के अन्य खंडों में वृद्धि में कमी।
सेवा क्षेत्र-सेवा क्षेत्र में 9.4 फीसदी की उछाल।-सेवा क्षेत्र में निर्यात बढकर 132.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंचा।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सेवों का हिस्सा 1950-51 में 33.5 फीसदी से बढकर 2010-11 में 55.1 फीसदी और 2011-12 में 56.3 फीसदी हो गया।
व्यापार-भारत का आयात अप्रैल 2011-जनवरी 2012 में 23.5 फीसदी से बढ़कर 242.8 अमेरिकी बिलियन डॉलर हुआ।
-पेट्रोलियम और तेल उत्पाद के क्षेत्र में निर्यात का साकारात्मक रुख।
-वर्ष 2000-01 से 2009-10 की 10 वर्षीय अवधि के दौरान पेट्रोलियम,कच्चे तेल उत्पादों की भागीदारी में 11.8 फीसदी की वृद्धि।
-अप्रैल-जनवरी 2011-12 के दौरान आयात 391. 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर रहा।
-सोने और चांदी के आयात में 46.2 फीसदी की वृद्धि।
-अप्रैल-जनवरी 2011-12 के दौरान व्यापार घाटा पिछले वित्तीय वर्ष के 105.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 148.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
बुनियादी ढाचा-वित्तीय बुनियादी ढाचा आगामी वर्ष में बड़ी चुनौती।
-योजना आयोग ने 12वीं योजना (2012-17) के दौरान 45 लाख करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य रखा है।
-इस निवेश में से कम से कम 50 फीसदी राशि निजी क्षेत्र से आएगी जबकि 11वीं योजना में 36 फीसदी की आशा की गई थी।
-सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश को भी 22.5 लाख करोड़ रुपये की जरूरत।
-वित्त पोषण के कुछ अभिवन विचारों और नवीन आदर्शों की आवश्यकता।
रुपया - अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 12.4 फीसदी की गिरावट आई
- मार्च 2011 में 44.97 प्रति अमेरिकी डॉलर से जनवरी 2012 में यह 51.34 प्रति अमेरिकी डॉलर हो गया।
- रुपये की उच्च अस्थरिता की वजह निवेशकों का भरोसा डगमगाया
- रुपये की अस्थिरता को रोकने के लिए कुछ उपाय सुझाए गए है।
वित्तीय बाजार -बाजार की अस्थिरता को मौजूदा विदेशी निवेश से दुरुस्त किया जाएगा।
-सरकार का रुपये की तरलता पर जोर।
- विश्व बाजार में उथलपुथल के पूंजी प्रवाह में जोखिम से बचने और संयम का कारण
- प्रतिकारी कदम उपभेदों को कम करने में मदद की
-वैश्विक स्थिति, बढ़ती व्यापार असंतुलन, पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देने के सुधार की पहल की गति को बढ़ाया जाएगा।
- घरेलू विकास के लिए वित्तीय बाजार आंदोलनों को प्रभावित होने की संभावना चिंता
- ग्रीस के ऋण समस्या पर चिंताओं का असर भारत में भी।
- बैंकिंग और अधिक जटिल और जोखिम भरी अधिक से अधिक वैश्विक एकीकरण के साथ भविष्य में व्यापार बन सकते हैं।
- जोखिम और चलनिधि प्रबंधन, कौशल आवश्यक वृद्धि।
- विदेशी कर्ज की सतत स्तर को बनाए रखने की आवश्यकता।
बैंकिंग और माइक्रो फाइनांस -सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने प्राथमिक क्षेत्र ऋण में 19 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।
-कृषि क्षेत्र को ऋण वितरण 19 फीसदी से अधिक
-127 लाख नए किसान लाभान्वित
-98 फीसदी शाखाएं पूर्णत: कंप्यूटरीकृत
-सेल्फ हेल्प ग्रुप बैंक लिंकेज कार्यक्रम को काफी सफलता मिली।
-अगले वित्तीय वर्ष के लिए निजी क्षेत्रों के बैंकों को 12 हजार करोड़ जारी।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन-12वीं योजना का घटक लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना।
-भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन विकसित देशों की तुलना में ज्यादा है।
-भारत ने अपने संसाधनों के बल पर स्वैच्छिक आधार पर कई कदम उठाए है।
-भारत के सामने पांच प्रमुख चुनौती- खाद्य सुरक्षा, जल सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण प्रबंधन शामिल है।
-व्यापक आर्थिक और सामाजिक विकास ही पर्यावरम संबंधी बेहतर टिकाऊपन का साधन।
शिक्षा और रोजगार
-वर्ष 2011-12 में शिक्षा क्षेत्र में सुधार की प्रकिया जारी
-कम कीमत वाला आकाश डिवाइस जारी
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानें के अनुरूप सर्वशिक्षा अभियान मानदंडों में संसोधन।
-स्कूली शिक्षा अधूरी छोड़ने वाले बच्चों की संख्या 23005 में 134.6 लाख से घटकर 2009 में 81.5 लाख रह गई।
-देश में जुलाई 2009 से रोजगार में वृद्धि
-वर्ष 2010 में संगठित क्षेत्रों में रोजगार की दर बढकर 1.9 फीसदी हुई।
-संगठित क्षेत्र में रोजगार में महिलाओं की हिस्सेदारी मार्च 2010 के अंत में 20.4 फीसदी।
-2010-11 में मनरेगा योजना के तहत 5.49 करोड़ परिवारों को रोजगार मिला।
First Published: Friday, March 16, 2012, 13:15