Last Updated: Monday, December 31, 2012, 15:19
नई दिल्ली : वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के चलते निवेश में नरमी आने से सरकार को 2012 में एफडीआई नीति में ढील देने को बाध्य होना पड़ा जिसका असर 2013 में एफडीआई में तेज बढ़ोतरी के रूप में देखने को मिल सकता है।
विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद सरकार ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र, एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र, जिंस एक्सचेंज, बिजली एक्सचेंज, प्रसारण, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों और परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई नीति उदार की।
इस साल के 10 महीनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 33 प्रतिशत तक घटकर 21 अरब डॉलर पर आ गया जो बीते साल की इसी अवधि में 31 अरब डॉलर था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में एक अधिकारी ने हालांकि उम्मीद जताई कि कई महत्वपूर्ण निर्णयों को देखते हुए 2013 में देश में और एफडीआई आ सकता है।
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा कि सरकार को अधिक निवेश हासिल करने के लिए और सुधार करने होंगे। उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2012 वैश्विक एवं घरेलू कारकों से अच्छा नहीं रहा, लेकिन 2013 में चीजों में सुधार आने की उम्मीद है।’
महीनों तक नीतिगत निर्णय लेने में लाचार रहने के आरोप का सामना करने वाली सरकार ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देकर निवेशकों में उत्साह पैदा की।
साथ ही उसने विमानन क्षेत्र में विदेशी विमानन कंपनियों को 49 प्रतिशत निवेश करने की भी अनुमति दी। इसके अलावा, प्रसारण क्षेत्र में एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी गई और साथ ही बिजली एक्सचेंजों में विदेशी निवेश की अनुमति दे दी गई। सरकार ने प्रसारण क्षेत्र में डीटीएच जैसी कंपनियों में एफडीआई सीमा बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को सरकार से बगैर पूर्व मंजूरी लिए कमोडिटी एक्सचेंजों में 23 प्रतिशत तक निवेश करने की भी अनुमति दे दी गई। वहीं, संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों में एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी गई।
इस समय देश में 14 संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियां परिचालन कर रही हैं जिनमें से 9 कंपनियों में विदेशी निवेश नहीं है।
इस दौरान, सरकार ने घटिया मशीनों के आयात को हतोत्साहित करने के लिए पुरानी मशीनों के आयात के बदले इक्विटी देने की सुविधा वापस ले ली।
दीर्घकालीन दृष्टि के तहत औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने 2017 तक वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाकर 5 प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य रखा है जो 2007 में 1.3 प्रतिशत था। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 31, 2012, 15:19