ईंधन आपूर्ति समझौते को ऊर्जा कंपनियों से परामर्श

ईंधन आपूर्ति समझौते को ऊर्जा कंपनियों से परामर्श

ईंधन आपूर्ति समझौते को ऊर्जा कंपनियों से परामर्श नई दिल्ली : बिजली मंत्रालय और विद्युत क्षेत्र की शीर्ष नियोजना संस्था केंद्रीय बिजली प्राधिकार (सीईए) को कोल इंडिया के साथ ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) पर हस्ताक्षर के लिए बिजली उत्पादन कंपनियों से परामर्श करने की जरूरत पड़ सकती है।

इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने कहा कि बिजली मंत्रालय और सीईए को एफएसए पर हस्ताक्षर करने के संबंध में बिजली कंपनियों से सहमति लेनी पड़ सकती है। सूत्रों के अनुसार कोल इंडिया ने आयातित और घरेलू कोयले के मूल्यों को एक साथ मिला कर तय करने के संबंध में सीईए के फार्मूले पर सहमति दे दी है।

सीईए का प्रस्ताव है कि तटीय संयंत्र और तट तथा कोयला खान से बराबर दूरी पर स्थित बिजली संयंत्रों को आयातित कोयले की ही आपूर्ति की जाए। कोयला खान के पास के संयंत्रों को घरेलू कोयला मिलना चाहिए। सीईए ने यह भी सुझाव दिया है कि समुद्र तट पर स्थित पुराने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को जो कोयला दिया जाना तय है वह ईंधन कोयला खानों के निकट के संयंत्रों आवंटित किया जाना चाहिए।

प्रस्ताव है कि महंगे आयातित और घरेलू कोयले की कीमत का जो फर्क आता हो वह घरेलू कोयले से जोड़ा जाए। उल्लेखनीय है कि इस समय आयातित कोयला 6,000 रुपए प्रति टन के भाव है। जबकि घरेलू कोयले की औसत कीमत 4,500 रुपए प्रति टन है। सीईए ने यह भी सुझाव दिया है कि बेहतरीन गुणवत्ता वाले कोयले को ऐसी व्यवस्था से अलग रखा जाना चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Thursday, November 22, 2012, 14:00

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