Last Updated: Thursday, May 24, 2012, 00:48
नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने पांच करोड़ अंशदाताओं के लिए न्यूनतम 1,000 रुपए पेंशन तय करने के बारे में न्यासियों की शुक्रवार को होने वाली बैठक में निर्णय करेगा।
ईपीएफओ की निर्णय लेने वाली शीर्ष इकाई केंद्रीय न्यासी बोर्ड :सीबीटी: अपने अंशदाताओं को न्यूनतम मासिक पेंशन सुनिश्चित करने के लिये अतिरिक्त बोझ के वहन को लेकर विभिन्न विकल्पों पर विचार करेगा। सीबीटी बैठक के एजेंडे के अनुसार ईपीएफओ ने पेंशन की न्यूनतम राशि 1,000 रुपए करने के संबंध में सुझाव दिया है कि सेवानिवृत्ति आयु को 58 से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया जाए या 20 साल पेंशनयोग्य सेवा पूरी होने पर दो साल के बोनस की व्यवस्था खत्म की जाए।
ईपीएफओ का कहना है कि दोनों में से कोई भी निर्णय होता है तो इससे बिना कर्मचारी, नियोक्ता या सरकार पर अतिरिक्त बोझ डाले अंशदाताओं को न्यूनतम 1,000 रुपये पेंशन देने में मदद मिलेगी। इस मुद्दे पर श्रम मंत्रालय के साथ चर्चा के बाद ईपीएफओ ने न्यूनतम 1,000 रुपये मासिक पेंशन सुनिश्चित करने के लिये सीबीटी को दो सुझाव दिये हैं।
बहरहाल, कर्मचारी संगठनों का कहना है कि दोनों विकल्पों में से किसी को अपनाने का अंशदाताओं पर असर पड़ेगा और वे 25 मई को न्यासियों की होने वाली बैठक में इस पहल का विरोध करेंगे। आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव डीएल सचदेव ने कहा, ‘अगर सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाकर 60 वर्ष की जाती है तो कर्मचारियों को दो साल और योगदान देना होगा। अगर दो साल का बोनस वापस लिया जाता है तो उनका पेंशन तय करने के फार्मूले के आधार पर निम्न स्तर पर निर्धारित होगा।’ (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 24, 2012, 00:48