Last Updated: Friday, December 9, 2011, 14:00
नई दिल्ली : वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि उच्च वृद्धि की ओर लौटना, मुद्रास्फीति का प्रबंधन और भारत को वैश्विक आर्थिक हालात के असर से बचाना देश की प्रमुख चुनौतियां हैं। वित्तीय घाटे के 4.6 प्रतशित के लक्ष्य को पाना आसान नहीं है।
उन्होंने अपने कार्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए तीन प्रमुख चुनौतियां हैं। मुद्रास्फीति को सहनीय सीमा पर बकरार रखते हुए और विश्व के अन्य हिस्सों में उभरते हालात (संकट) के असर से देश को हरसंभव बचाने के साथ साथ उच्च वृद्धि के दायरे में कैसे लौटा जाए।
मुखर्जी ने यह टिप्पणी उस दिन की है जबकि सरकार ने संसद में छमाही समीक्षा पेश की है जिसमें देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर नौ फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दी गई। भारत ने 2005-05 से लेकर 2007-08 के दौरान नौ फीसदी की वृद्धि दर दर्ज की थी, लेकिन इसके बाद के तीन साल में वृद्धि दर 6.7 फीसद, आठ फीसद और 8.5 फीसदी पर आ गई। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर घटकर 7.3 फीसदी पर आ गई जो पिछले साल की समान अवधि में 8.6 फीसदी पर थी।
हाल के महीनों में मुद्रास्फीति कुछ कमी आई है, लेकिन समीक्षा में मंहगाई दर में कमी की धीमी रफ्तार पर चिंता जाहिर की गई। सरकार को उम्मीद है कि साल के अंत तक मुद्रास्फीति सात फीसद के करीब आ जाएगी।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 9, 2011, 19:30