उच्च वृद्धि के लिए सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे : चिदंबरम

उच्च वृद्धि के लिए सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे : चिदंबरम

उच्च वृद्धि के लिए सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे : चिदंबरमनई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने निवेशकों के लिये नियमों को और उदार बनाने का वादा करते हुये शनिवार को कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को फिर से उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिये ‘लगातार और दृढ़ता’ के साथ सुधार प्रक्रिया के अगले चरण की तरफ बढ़ रही है।

चिदंबरम ने आज यहां राष्ट्रीय संपादकों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये कहा कि आर्थिक सुधार निरंतर आगे बढ़ने वाली प्रक्रिया है। सरकार ने हाल ही में अनेक क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाने के साथ ही और कई उपाय किये हैं। सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाने और राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की दिशा में काफी रास्ता तय किया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के लिये निवेश नियमों को और सरल बनाया गया है। उनके लिये सरकारी प्रतिभूतियों और कंपनी क्षेत्र के रिणपत्रों में निवेश नियमों को उदार बनाया गया है।

उन्होंने कहा,‘एक अप्रैल 2013 से एफआईआई निवेश के लिये मौजूदा अलग-अलग श्रेणियों में निवेश के बजाय केवल दो व्यापक श्रेणियों में निवेश की सुविधा होगी। एक श्रेणी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की होगी जिसे पांच अरब डालर बढ़ाकर 25 अरब डॉलर कर दिया गया है और दूसरी श्रेणी कापरेरेट बॉंड की होगी इसमें भी इतनी ही वृद्धि कर इसकी सीमा 51 अरब डालर कर दी गई है।’

चिदंबरम ने आने वाले दिनों में आर्थिक सुधारों की दिशा में और कदम उठाये जाने का वादा करते हुये कहा कि सरकार लगातार और दृढ़ता के साथ अगली पीढ़ी के सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रही है।

चिदंबरम ने सुधार प्रक्रिया को बढ़ाने की दिशा में उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुये कहा कि हाल ही में मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गई। विमानन और प्रसारण क्षेत्र में भी विदेशी निवेश को उदार बनाया गया। डीजल के दाम को आंशिक तौर पर नियंत्रणमुक्त किया गया और सब्सिडीयुक्त रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति सीमित की गई।

नागरिकों को खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाले खाद्य सुरक्षा विधेयक के बारे में वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि संसद के इसी सत्र में यह पारित हो जायेगा और इसके लिये बजट में अलग से 10,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज्यों को केन्द्रीय सहायता के आवंटन में भेदभाव बरते जाने के आरोपों के बारे में पूछे गये एक सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह के आरोप सही नहीं हैं। राज्यों को जो भी धन दिया जाता है वह संविधान में की गई व्यवस्था और वित्तीय आयोग की सिफारिशों के अनुरूप दिया जाता है।

चिदंबरम ने कहा, ‘ किसी भी राज्य को न तो प्राथमिकता दी जाती है और न ही किसी के साथ भेदभाव किया जाता है। भेदभाव बरते जाने के आरोप गलत हैं और मैं इन आरोपों को खारिज करता हूं।’

बिहार, उड़ीसा तथा कुछ अन्य राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने संबंधी सवाल पर चिदंबरम ने कहा उन्होंने कभी भी राज्यों को विशेष दर्जा दिये जाने के विचार का समर्थन नहीं किया है। हालांकि, सरकार ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी की अध्यक्षता में गठित 14वें वित्त आयोग से कहा है कि वह कर्ज के बोझ तले दबे राज्यों की समस्या पर ध्यान देते हुये सरकार को आवश्यक सुझाव दे।

वित्त मंत्री ने राज्यों से कहा है कि उन्हें मजबूत बनने के लिये बेहतर परिवेश बनाने के साथ ही कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में सुधार लाना होगा और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना चाहिये।

चिदंबरम ने कहा कि बाजार नियामक सेबी की नीलामी प्रक्रिया के तहत कंपनियों के लिये कापरेरेट बांड के जरिये धन जुटाने की सीमा तय करने की मौजूदा प्रक्रिया का स्थान अवसंरचना (इन्फ्रा) बांड में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया ले सकती है।

उन्होंने कहा कि जब कभी जरूरत होगी सरकारी बांड की सीमा को बढ़ाया जायेगा। उन्होंने कहा, ‘कापरेरेट बांड में विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिये तय निवेश सीमा का 80 प्रतिशत तक जब निवेश पहुंच जायेगा तब सरकार बड़े निवेशकों की निवेशयोजना की सुविधा के लिये विदेशी निवेश सीमा की समीक्षा करेगी।’

निवेशकों को एक दिशा देते हुये वित्त मंत्री ने कहा, ‘मुझे प्रसन्नता है कि सरकारी बॉंड में निवेश विस्तार की सालाना सीमा सरकार की बाजार से सकल उधारी के पांच प्रतिशत के दायरे में ही बनी हुई है। हालांकि, इसमें वापसी खरीद को अलग रखा गया है।’

वैश्विक अर्थव्यवस्था के मामले में चिदंबरम ने कहा कि यूरोक्षेत्र के संकट से पूरी दुलिया में निवेश गतिविधियां प्रभावित हुई हैं और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। उन्होंने याद दिलाते हुये कहा कि वर्ष 2010.11 में आर्थिक वृद्धि के 9.3 प्रतिशत तक पहुंचने के बाद अर्थव्यवस्था मंर सुस्ती आई और 2011.12 में यह घटकर 6.2 प्रतिशत रह गई और अब चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके पिछले एक दशक की न्यूनतम वृद्धि 5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया गया है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, March 23, 2013, 14:45

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