Last Updated: Monday, July 1, 2013, 19:21

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि साल दर साल चालू खाते के ऊंचे घाटे के लिए धन की व्यवस्था करना एक चुनौती है और इस चुनौती का एक मात्र हल निर्यात को बढ़ाना है।
‘चालू खाते के घाटे के लिये धन की व्यवस्था बड़ा मुश्किल काम है। कुछ साल पहले तक यह शब्द हमारे यहां चर्चा में बिल्कुल नहीं था पर अब यह काफी गंभीर मुद्दा बन गया है क्योंकि निर्यात के मुकाबले आयात तेजी से बढ़ रहा है। इसके अंतर का वित्तपोषण अदृश्य मदों से प्राप्ति और पूंजी खाते के जरिये ही किया जा सकता है।’
चिदंबरम ने कहा, ‘लेकिन साल दर साल ऐसा करना चुनौतीपूर्ण होगा। चालू खाते के घाटे की समस्या का दीर्घकालिक समाधान है निर्यात में सुधार लाना।’
चिदंबरम ने आज सुबह ही वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा से मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘हमने आज सुबह ही निर्यात के आंकड़ों की समीक्षा की। पहली तिमाही में निर्यात के आंकड़े उत्साहवर्धक नहीं हैं।’
सामान और सेवाओं का आयात तथा विदेशों को धन का अंतरण जब निर्यात से ज्यादा हो जाता है तो चालू खाते में घाटे की स्थिति उत्पन्न होती है। गत 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2012-13 में चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.8 प्रतिशत के बराबर रहा। सोने और तेल एवं गैस का आयात बढ़ने से व्यापार 195.7 अरब डालर तक चला गया।
उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि इस रझान को बदलने के लिये कुछ उपाय किये जायेंगे और हमारा निर्यात फिर से अच्छी वृद्धि के रास्ते पर लौटेगा और व्यापार घाटा नहीं बढेगा।’ (एजेंसी)
First Published: Monday, July 1, 2013, 19:21