`एचएसबीसी ने भारत में आतंकवादी धन का रास्ता खोला`

`एचएसबीसी ने भारत में आतंकवादी धन का रास्ता खोला`

`एचएसबीसी ने भारत में आतंकवादी धन का रास्ता खोला`वाशिंगटन : अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख वैश्विक बैंक एचएसबीसी ने अमेरिका और संभवत: भारत तथा विश्व के अन्य हिस्सों में नशीली दवाओं के गुट और आतंकी सगठनों द्वारा की जाने वाली मनी लांडरिंग को रोकने के उपाय करने में असफल रहा बल्कि संभवत: भारत समेत विश्व के अन्य हिस्सों में इसे रोकने में असमर्थ रहा।

एचएसबीसी ने आतंकी धन और मनी लांडरिंग के जोखिम के प्रति अपनी प्रणालियों में सावधानी बरतने में हुई चूक के लिए अमेरिका से माफी मांगते हुए कहा है कि वह बैंक के जोखिम प्रबंधन में हुई गलती को दूर करने के प्रति प्रतिबद्ध है।

इस मामले की जांच करने वाली अमेरिकी सीनेट की उपसमिति के अध्यक्ष सांसद कार्ल लेविन ने कहा, एचएसबीसी ने अपने अमेरिकी बैंक का इस्तेमाल विश्व में कुछ अन्य देशों में अपने बैंकों के ग्राहकों के लिए अमेरिका में अमेरिकी डालर में धन भेजने का रास्ता उपलब्ध कराया। ऐसा करते हुए उसने अमेरिका के बैंकिंग नियमों के साथ खिलवाड़ किया। इस रिपोर्ट के मुताबिक मेक्सिको में एचएसबीसी के नेटवर्क से 2007-08 के दौरान 7 अरब नकदी अमेरिकी डॉलर भेजी गयी यह वहां के बैंकों के जरिए भेजी गयी रकम की कई गुना थी।

जांच में पाया गया कि लंदन मुख्यालय वाले एचएसबीसी ने बिना पर्याप्त नियंत्रण के मेक्सिको, सउदी अरब और बांग्लादेश जैसे देशों के अपने संबद्ध बैंकों को अरबों डालर का संदिग्ध धन अमेरिका भेजने की अनुमति दी।

इस 340 पन्ने की रपट के मुताबिक एचएसबीसी ने 2009 में अपने संबद्ध बैंक को भारतीय रुपए को सउदी अरब के अल रजही बैंक को भेजने की स्वीकृति दी जिसके बारे में कहा जाता है कि वह वित्तीय आतंकवाद से जुड़ा है।

रपट में कहा गया, 2007-10 से एचबीयूएस (एचएसबीसी-यूएसए) ने अपनी लंदन शाखा के जरिए सउदी अरब में अल रजही बैंक को करोड़ों अमेरिकी डॉलर की आपूर्ति जारी रखी।

इसके अलावा अल रजी बैंक के निवेदन पर एचबीयूएस ने जनवरी 2008 में इस संबंध का विस्तार किया और अपनी हांगकांग शाखा को अल रजही बैंक को गैर अमेरिकी मुद्रा की आपूर्ति का अधिकार दिया जिनमें थाइलैंड की मुद्रा बत, भारतीय रुपया और हांगकांग डॉलर शामिल हैं। हालांकि भारतीय रुपए के बारे में इस रपट में और कोई ब्यौरा नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, July 17, 2012, 23:03

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