Last Updated: Monday, June 17, 2013, 19:27

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि जिन क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमाएं अपना वांछित उद्देश्य पूरा नहीं कर पा रही हैं उनमें सीमा का संशोधन किया जा सकता है।
उन्होंने वित्त मंत्रालय की संसदीय परामर्श समिति की बैठक में कहा कि सरकार एफडीआई की सीमाओं पर विचार कर रही है ताकि यह पता लग सके कि क्या ये सीमाएं वांछित उद्देश्य की पूर्ति कर पा रही हैं। अन्यथा इनमें संशोधन किया जा सकता है। इस बैठक का एजेंडा था ‘चालू खाते का घाटा-राजकोषीय घाटे को कम करने की पहल और असर’।
भारत में कई क्षेत्रो में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की मंजूरी है, लेकिन बहुब्रांड खुदरा कारोबार, बीमा, रक्षा एवं दूरसंचार जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी हिस्सेदारी को एक सीमा तक ही रखने की छूट है। सरकार ज्यादा से ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना चाहती है। उसका प्रयास है कि इस समय चालू खाते के बढ़ते घाटे का वित्तपोषण इस तरह से आने वाले विदेशी धन से हो सके।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कल कहा था कि वह जल्दी ही दूरसंचार एवं रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने के लिए मंत्रिमंडल में प्रस्ताव करेंगे क्योंकि सरकार आर्थिक वृद्धि और निवेश बढ़ाना चाहती है। चिदंबरम ने कहा कि भारत के चालू खाते के बढ़ते घाटे की मुख्य वजह यह है कि देश तेल, कोयला और सोने जैसे उत्पादों के लिए भारी मात्रा में आयात पर निर्भर है।
भारत का चालू खाते का घाटा दिसंबर 2012 में सकल घरेलू उत्पाद के 6.7 प्रतिशत के रिकार्ड उच्च स्तर पर रहा। 2012-13 में करीब पांच प्रतिशत रहने की संभावना है। आरबीआई का मानना है कि यह 2.5 प्रतिशत तक सीमित रहना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Monday, June 17, 2013, 19:27