Last Updated: Wednesday, July 11, 2012, 14:39

मुंबई : शेयर बाजार नियामक सेबी ने लम्बे विवाद के बाद एमसीएक्स.एसएक्स को एक पूर्ण शेयर बाजार के तौर पर काम करने की मंजूरी दे दी है।
एसमीसएक्स-एसएक्स को वित्तीय और जिंस बाजारों के लिए साफ्टवेयर टेक्नॉलाजी उपलब्ध कराने वाली फाइनेंशियल टेक्नॉलाजी और उसके द्वारा प्रवर्तित कमॉडिटी एक्सचेंज कंपनी एमसीएक्स ने खड़ा किया है और इसे अभी केवल विदेशी विनियम दर पर आधारित मुद्रा डेरिवेटिव कारोबार की ही अनुमति मिली हुई थी। सेबी की मंजूरी मिलने के बाद अब यह शेयरों में भी कारोबार शुरू कर सकता है।
सेबी के इस फैसले के साथ देश के शेयर बाजार में प्रतिस्पर्धा के नये दौर की शुरूआत होगी। अभी यह बाजार मुख्यत: बंबई शेयर बाजार (बीएसई) और नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) तक सीमित है, क्षेत्रीय शेयर बाजार अब नाम मात्र के रह गए है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की इस मंजूरी से एमसीएक्स.एसएक्स की चार साल लंबी प्रतीक्षा कल समाप्त हो गई। एमसीएक्स स्टॉक एक्सचेंज को सबसे पहले सेबी की मंजूरी सितंबर 2008 में मिली थी। लेकिन उसे तब मुद्रा के वायदा कारोबार में ही व्यापार की अनुमति दी गई।
एमसीएक्स-एसएक्स के उपाध्यक्ष जिग्नेश शाह ने सेबी के फैसले का स्वागत करते हुये कहा, हम देश के एक्सचेंज उद्योग में प्रतिस्पर्धी माहौल बनाने के लिये सोची समझी नीति के तहत किये गये सुधार के लिये नियामक और नीतिनिर्माताओं के शुक्रगुजार हैं। उन्होंने कहा, नये नियमनों से एक्सचेंज कारोबार में सभी को समान अवसर उपलब्ध होंगे। पारदर्शी नीति और बाजार के विकास तथा निवेशक शिक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा।
वर्तमान में सेबी ने देशभर में आठ स्टॉक एक्सचेंजों को स्थायी मान्यता दी है लेकिन इनमें से केवल दो ही ..बंबई शेयर बाजार और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई और एनएसई) राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हैं। एमसीएक्स-एसएक्स और यूनाईटेड स्टॉक एक्सचेंज (यूएसई) इस समय केवल मुद्रा डेरिवेटिव्ज में कारोबार करते हैं। सेबी के ताजा निर्णय के बाद अब एमसीएक्स-एसएक्स भी राष्ट्रीय स्तर का तीसरा प्रमुख शेयर बाजार बन सकता है।
सेबी ने एमसीएस-एसएक्स को इसकी अनुमति देते हुए यह शर्त लगाई है कि उसके प्रवर्तकों एमसीएक्स और एफटीए को 18 माह में इस एक्सचेंज में अपनी हिस्सेदारी कम करके पांच प्रतिशत करना अनिवार्य होगा। प्रवर्तकों के पास यदि इस एक्सचेंज के कुछ वारंट या अन्य प्रतिभूतियां है जिनके चलते उनकी हिस्सेदारी अधिकतम सीमा के उपर बनती है तो उसे भी घटाने के लिए उन्हें कुल तीन साल का समय दिया गया है। इन दोनों प्रवर्तक कंपनियों के पास एक्सचेंज परिचालक कंपनी में पांच प्रतिशत से अधिक का मताधिकार नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यालय ने एमसीएक्स की एक याचिका पर इस वर्ष 11 अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि वह इस शेयर बाजार कंपनी में मालिकाना हक संबंधी नयी व्यवस्था के तहत उसे शेयरों के कारोबार की अनुमति दिए जाने की अर्जी पर तीन माह में फैसला दे। सेबी ने यह समय सीमा खत्म होने के ठीक पहले अपना निर्णय दिया। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 11, 2012, 14:39