Last Updated: Tuesday, August 21, 2012, 15:18

नई दिल्ली : सरकार ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के पांच वर्ष पहले हुए विलय से कंपनी को कोई फायदा न होने की बात को नकारने के बावजूद यह स्वीकार किया है कि वर्ष 2011-12 में एयर इंडिया का अनुमानित घाटा 7,853 करोड़ रुपये है।
के पी रामालिंगम द्वारा पूछे गये प्रश्नों के लिखित उत्तर में नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा कि पूववर्ती एयर इंडिया ने वर्ष 2004-05 में क्रमश: 65.14 करोड़ रुपये और 12.43 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया जबकि इस अवधि के दौरान पूर्ववर्ती इंडियन एयरलाइन्स ने भी क्रमश: 71.61 करोड़ रुपये और 63 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया।
उन्होंने यह भी माना कि वर्ष 2006-07 के दौरान पूववर्ती एयर इंडिया को 541.30 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि विलय के बाद एयर इंडिया को वर्ष 2007-08 में 2,226-16 करोड़ रुपये, वर्ष 2008-09 में 5,548-26 करोड़ रुपये, वर्ष 2009-10 में 5,552.44 करोड़ रुपये, 2010-11 में 6,865.17 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा जबकि वर्ष 2011-12 में इसका अनुमानित घाटा 7,853 करोड़ रुपये का है।
नागर विमानन मंत्री ने कहा कि एयर इंडिया ने एकीकरण की 74 प्रतिशत प्रक्रिया को पूरी कर लिया है और 23 प्रतिशत एकीकरण प्रक्रिया पूरी की जा रही है। शेष तीन प्रतिशत प्रक्रिया अभी शुरु की जानी है।
सिंह ने कहा कि जनशक्ति का एकीकरण महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक है जिसे अभी पूरा किया जाना है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सिंह ने कहा कि सरकार ने एयर इंडिया की पुनरूद्धार योजना तथा वित्तीय पुनर्सरचना योजना को मंजूरी दी है जिसमें लागत कम करने तथा परिचालन प्रदर्शन को सुधारने पर जोर दिया गया है। सरकार ने ऋण इक्विटी अनुपात में सुधार करने के लिए एयर इंडिया को और अधिक इक्विटी सहायता प्रदान करने का भी निर्णय लिया है।
नागर विमानन मंत्री ने कहा कि लागत को कम करने और परिचालन प्रदर्शन को सुधारने के एयर इंडिया द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों में पूर्ववत एयर इंडिया तथा इंडियन एयरलाइन्स के मार्गो को युक्तिसंगत बनाने, घाटे वाले कुछ मार्गो को युक्तिसंगत बनाने, यात्रियों को आकषिर्त करने के लिए अनेक घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय मार्गो पर नये ब्रांड के विमानों को शामिल करने, पुराने बेड़े को हटाकर रखरखाव की लागत कम करने, पट्टे वाले विमानों को पट्टावधि समाप्त होने या इससे पूर्व वापस करने जैसे प्रस्ताव शामिल हैं।
इनके अलावा गैर परिचालन वाले क्षेत्रों में रोजगार को बंद करने, अनावश्यक व्यय को कम करने के लिए कर्मचारियों की पुर्नतैनाती, फ्रैंकफर्ट हब को बंद करने तथा दिल्ली हब को स्थापित करने, एकीकृत परिचालन नियंत्रण केन्द्रों की स्थापना आदि कदम भी शामिल हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 21, 2012, 15:18