`एयर ट्रैफिक के नियंत्रण को बनाने होंगे नए हवाई अड्डे`

`एयर ट्रैफिक के नियंत्रण को बनाने होंगे नए हवाई अड्डे`

`एयर ट्रैफिक के नियंत्रण को बनाने होंगे नए हवाई अड्डे` नई दिल्ली : हवाई यातायात बढ़ने के कारण अगले दशक में पांच प्रमुख शहरों में दूसरा और मुंबई में तीसरा हवाई अड्डा बनाने की जरूरत पड़ेगी। विमानन के बारे में परामर्श देने वाली कंपनी ने कहा कि ऐसे बुनियादी ढांचे में 30 अरब डॉलर के अनुमानित निवेश की जरूरत होगी।

सेंटर फॉर एशिया पेसिफिक एविएशन (कापा) ने एक रिपोर्ट में कहा कि हवाई यातायात वृद्धि के मौजूदा आंकलन के मुताबिक अगले 10 साल में बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद और कोलकाता में दूसरे हवाई अड्डे और मुंबई में तीसरे हवाई अड्डे की तैयारी शुरू करने की जरूरत होगी।

सिडनी की विमानन परामर्श कंपनी ने कहा कि यातायात में कई अपेक्षाकृत छोटे शहरों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। कंपनी की रपट में कहा गया है, ‘अनुमानित वृद्धि से सभी मेट्रो शहरों में दूसरे और मुंबई में तीसरे हवाई अड्डे की जरूरत होगी। इससे मेट्रो शहरो में 13 हवाई अड्डे होंगे। अहमदाबाद में भी दूसरे हवाई अड्डे की जरूरत होगी।’ भारतीय हवाई अड्डा क्षेत्र में और 30 अरब डॉलर के निवेश की उम्मीद है जिसमें मौजूदा हवाई अड्डे के उन्नयन की लागत, मेट्रो के दूसरे हवाई अड्डे के प्रावधान और नए हवाई अड्डे का निर्माण शामिल हैं।

कापा ने कहा कि दिल्ली तथा बेंगलुरु जैसे शहरों में जहां नए हवाई अड्डे बने हैं तथा पर्याप्त क्षमता है, वृद्धि इस प्रकार की है जिससे इसी दशक में दूसरा हवाई अड्डा बनाने की योजना तैयार करने की जरूरत है। इसके अलावा चेन्नई समेत 36 प्रमुख हवाई अड्डों पर अभी या बहुत जल्द ज्यादा क्षमता विस्तार की जरूरत होगी। पुणे, पटना, जयपुर, नागपुर और लखनऊ जैसे शहरों में तुरंत जरूरत है।

भारत में जमीन की कमी को देखते हुए कहा जा रहा है कि देश को दीर्घकालिक हवाई अड्डा विकास योजना तैयारी करनी चाहिए जो अगले 20 से 30 साल की जरूरत पूरी कर सके। हालांकि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकार (एएआई) के पास 2017 में समाप्त हो रही 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद का कोई पूंजी व्यय कार्यक्रम नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, July 15, 2012, 11:05

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