Last Updated: Wednesday, November 7, 2012, 21:58

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि एयरसेल-मैक्सिस सौदें में पूर्व संचार मंत्री दयानिधि मारन और मलयेशियाई कारोबारी की भूमिका के शामिल होने संबंधी आरोपों की केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा की गयी जांच से पहली नजर में इसमें ‘मिलीभगत’ के संकेत लगते हैं।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन की खंडपीठ ने जांच ब्यूरो द्वारा न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में पेश की गयी प्रगति संबंधी दो रिपोर्टों के अवलोकन के बाद टिप्पणी की, लगाये गए आरोपों तथा उनकी जांच से पहली नजर में मिलीभगत के संकेत मिलते हैं। जांच एजेन्सी ने न्यायालय को सूचित किया कि उसने इस सौदे के संबंध में घरेलू जांच पूरी कर ली है लेकिन मलयेशिया में विदेशी फर्म के मालिक के प्रभाव के कारण विदेश में इसकी जांच में विलंब हो रहा है।
जांच एजेन्सी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने कहा, हमने घरेलू जांच पूरी कर ली है और अब इस सौदे के बारे में मलयेशिया तथा मारीशस में जांच पूरी करनी है। इन देशों के लिए अनुरोध पत्र भेजे जा चुके हैं। उन्होंने कहा, मलेशिया में इस मामले में शामिल व्यक्ति आर्थिक रूप से काफी ताकतवर है और राजनीतिक रूप से भी वह ताकतवर है। वेणुगोपाल ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच में नयी प्रगति रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण अंशों को पढ़ते हुये यह जानकारी दी।
दयानिधि मारन पर आरोप है कि उन्होंने चेन्नै स्थित टेलीकॉम प्रमोटर सी शिवशंकरण को एयरसेल की अपनी हिस्सेदार 2006 में मलयेशिया की कंपनी मैक्सिस समूह को बेचने के लिए मजबूर किया। कुआलालंपुर स्थित उद्यमी टी आनंद कृष्णन मैक्सिस समूह के मालिक हैं।
जांच एजेन्सी ने कहा कि चूंकि इस सौदे की रकम मॉरीशस के रास्ते भारत आयी थी, इसलिए धन के प्रवाह की विदेश में जांच जरूरी है। न्यायाधीशों ने जब मलयेशिया और मॉरीशस में जांच में विलंब के बारे में जानना चाहा तो जांच एजेन्सी ने कहा कि वे देश किसी न किसी मुद्दे पर लगातार स्पष्टीकरण मांग रहे हैं। इसपर न्यायालय ने कहा कि यदि किसी ताकतवर या प्रभावशाली व्यक्ति के प्रयास हैं या जांच एजेन्सी किसी दबाव में काम कर रही है तो यह बंद होना चाहिए। जांच एजेन्सी ने कहा कि मॉरीशस के अटार्नी जनरल पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं और उम्मीद है कि उसे भारतीय उच्च आयोग से भी समर्थन मिलेगा।
न्यायाधीशों ने कहा, आपकी रिपोर्ट से पता चलता है कि मॉरीशस के अटार्नी जनरल पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं ओर उच्चायोग भी समर्थन करेगा। न्यायालय ने कहा कि भारत सरकार भी एक पक्षकार है और यदि उच्चायोग से आपको किसी प्रकार की कठिनाई हो रही है तो हम इस बारे में आदेश देंगे। जांच एजेन्सी ने कहा कि साक्ष्यों के बारे में इन देशों ने कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं जो अनावश्यक थे।
जांच एजेन्सी की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि वह चाहता है कि इस मामे की जांच यथाशीघ्र पूरी हो ताकि जनवरी से इस पर रोजाना सुनवाई की जा सके। एजेन्सी ने जुलाई, 2011 में न्यायालय में पेश प्रगति रिपोर्ट में कहा था कि 2004-07 के दौरान मारन संचार मंत्री थे और उसी दौरान उद्यमी सी. शिवशंकरन पर एयरसेल की हिस्सेदारी मैक्सिस समूह को बेचने के लिए दबाव डाला गया था।
जांच एजेन्सी ने रिपोर्ट में कहा था कि मारन ने मलयेशियाई फर्म का पक्ष लिया और दिसंबर 2006 में एयरसेल का अधिग्रहण करने के छह महीने के भीतर ही उसे लाइसेंस दे दिये। मारन फरवरी, 2004 से मई 2007 के दौरान संचार मंत्री थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 7, 2012, 21:36