Last Updated: Tuesday, March 12, 2013, 20:35

नई दिल्ली : लगातार दो महीने की गिरावट के बाद विनिर्माण और बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन की बदौलत औद्योगिक उत्पादन में जनवरी में 2.4 फीसदी की वृद्धि रही। उद्योग जगत ने हालांकि, इस वृद्धि के लिये पिछले वर्ष के निम्न तुलनात्मक आधार को प्रमुख वजह बताया।
वित्त मंत्रालय और भारतीय उद्योग जगत ने यह मानते हुये कि औद्योगिक उत्पादन में आया सुधार कमजोर है, रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कमी लाने पर जोर दिया ताकि औद्योगिक वृद्धि को मजबूती दी जा सके। पिछले साल जनवरी में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि एक फीसद रही, जबकि नवंबर 2012 में 0.8 फीसदा और दिसंबर में 0.5 फीसदी घट गई थी।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों :डीईए: के सचिव अरविंद मायाराम ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘‘मुद्रास्फीति आंकड़े भी कम हुए हैं इसलिए निश्चित तौर पर वृद्धि को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।’’ आरबीआई ने अनुमान जाहिर किया है कि मार्च आखिर तक थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति 6.8 फीसद रहेगी। जनवरी में यह 6.62 फीसदी रही थी।
मायाराम ने कहा कि केंद्रीय बैंक 19 मार्च को पेश होने वाली मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में ब्याज दर पर विचार करने से पहले विभिन्न घटनाक्रमों और वृहत्-आर्थिक स्थितियों पर विचार करेगा।
उद्योग संगठन सीआईआई ने कहा कि आरबीआई को वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा बजट में घोषित राजकोषीय मजबूती की पहलों पर विचार करना चाहिए और आगामी समीक्षा में मुख्य दरों में कम से कम 0.5 फीसदा कटौती करनी चाहिए।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जनवरी 2012-13 के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान औद्योगिक उत्पादन एक फीसद बढ़ा है जो 2011-12 की इसी अवधि में 3.4 फीसदी बढ़ा था।
इस बीच दिसंबर 2012 में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के आंकड़े को संशोधित कर 0.5 फीसद कर दिया गया जो अस्थाई अनुमान के मुताबिक 0.6 फीसद रहे थे। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 75 फीसदी योगदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र ने जनवरी में 2.7 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की जबकि 2012 के इसी महीने में 1.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जनवरी की अवधि में प्रमुख क्षेत्रों की वृद्धि 0.9 फीसदी रही जबकि 2011-12 की इसी अवधि में 3.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई थी। जनवरी में बिजली उत्पादन 6.4 फीसदी बढ़ा जबकि जनवरी 2012 में 3.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई थी। अप्रैल से जनवरी 2012-13 में बिजली उत्पादन 4.7 फीसदी बढ़ा जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 8.8 फीसदी वृद्धि दर्ज हुई थी।
इंडिया रेटिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री डी के जोशी ने औद्योगिक उत्पादन के संबंध में कहा ‘‘मैं थोड़ा सतर्क रवैया अख्तियार करूंगा। अभी रुझान नहीं बना है। औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में उतार-चढ़ाव रहा है। ऐसा नहीं है कि अगले महीने भी निर्यात बढ़ेगा . हो सकता है कम हो। लेकिन मैं कहूंगा कि यह सकारात्मक दायरे में रहेगा।’’ कुल मिलाकर विनिर्माण क्षेत्र के 22 में से 11 उद्योग समूहों में जनवरी के दौरान पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले वृद्धि दर्ज हुई। इस साल जनवरी में खनन उत्पादन 2.9 फीसदी कम हुआ जबकि 2012 की इसी अवधि में उत्पादन 2.1 फीसदी घटा था।
अप्रैल से जनवरी की अवधि में इस क्षेत्र का उत्पादन 1.9 फीसदी घटा जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 2.5 फीसदी कमी दर्ज हुई थी। पूंजीगत उत्पादों का उत्पादन भी जनवरी माह में 1.8 फीसद घटा जबकि 2012 के इसी महीने में 2.7 फीसदी की कमी आई थी।
अप्रैल से जनवरी की अवधि में पूंजीगत उत्पादों के उत्पादन में 9.3 फीसद की कमी आई जबकि 2011-12 की इसी अवधि में 2.9 फीसद की कमी आई थी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 12, 2013, 16:28