Last Updated: Thursday, July 12, 2012, 13:33

नई दिल्ली : पूंजीगत वस्तु तथा खनन क्षेत्र में गिरावट के साथ विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण इस साल मई महीने में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर धीमी होकर केवल 2.4 प्रतिशत रही। इस नरमी के मद्देनजर रिजर्व बैंक 31 जुलाई को मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा करते समय कर्ज सस्ता करने के कदम उठा सकता है।
यहां आज जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पर आधारित औद्योगिक वृद्धि दर पिछले वर्ष मई महीने में 6.2 प्रतिशत रही। इस बीच, अप्रैल के आज जारी संशोधित आंकड़ों के अनुसार, उस माह औद्यौगिक उत्पादन में 0.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि प्रारंभिक आंकड़ों में माह के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि दिखायी गई थी।
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने अप्रैल-मई के दौरान औद्योगिक वृद्धि 0.8 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व महीने में 5.7 प्रतिशत थी। आंकड़ों के अनुसार पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन मई महीने में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि पिछले वर्ष के इसी महीने में इसमें 6.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। खनन उत्पादन में भी 0.9 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि पिछले वर्ष के इसी महीने में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
सूचकांक में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला विनिर्माण क्षेत्र का भी प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और इसमें आलोच्य महीने के दौरान महज 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि मई 2011 में इसमें 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। औद्योगिक उत्पादन में नरमी को देखते हुए ऐसा लगता है कि रिजर्व बैंक जब 31 जुलाई को मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा पेश करेगा तो उस पर नीतिगत ब्याज दरों में कटौती को लेकर दबाव होगा। (एजेंसी)
First Published: Thursday, July 12, 2012, 13:33