Last Updated: Wednesday, June 12, 2013, 18:23

नई दिल्ली : स्थिति में सुधार के कोई संकेत नहीं देते हुये औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अप्रैल में दो प्रतिशत के निराशाजनक स्तर पर रही है। इस स्थिति में निवेश बढ़ाने के लिये परियोजनाओं को जल्द मंजूरी देने और रिजर्व बैंक पर नीतिगत दरों में कटौती का दबाव एक बार फिर बढ़ गया है।
विनिर्माण और खनन क्षेत्र के निराशाजनक प्रदर्शन के मद्देनजर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर कमजोर पड़ी है। एक महीना पहले मार्च में इसमें 3.4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। हालांकि, यह आंकड़ा पिछले साल अप्रैल माह के मुकाबले बेहतर है जब औद्योगिक उत्पादन 1.3 प्रतिशत घटा था।
औद्योगिक उत्पादन वृद्धि के अप्रैल के आंकड़ो को निराशाजनक करार देते हुए योजना आयेाग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालयिा ने कहा ‘आज जारी हुआ वृद्धि का आंकड़ा कम है। थोड़ा सुधार है लेकिन प्रभावी नहीं।’ औद्योगिक उत्पादन में कमी मुख्य तौर पर विनिर्माण, खनन, बिजली और पूंजीगत उत्पाद जैसे प्रमुख क्षेत्रों का उत्पादन निराशाजनक रहने के कारण हुई।
सूचकांक में 75 प्रतिशत योगदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र में अप्रैल महीने में मात्र 2.8 प्रतिशत बढ़त दर्ज की गई हालांकि, पिछले साल अप्रैल में इसमें 1.8 प्रतिशत गिरावट रही थी। बिजली उत्पादन इस साल अप्रैल में सिर्फ 0.7 प्रतिशत बढ़ा जबकि पिछले साल इसी माह इसमें 4.6 प्रतिशत वृद्धि रही थी। आलोच्य अवधि में खनन क्षेत्र में पिछले साल के 2.8 प्रतिशत के मुकाबले तीन प्रतिशत गिरावट रही।
पूंजीगत उत्पादों में सिर्फ एक प्रतिशत वृद्धि रही जबकि पिछले साल इसमें अप्रैल में 21.5 प्रतिशत की भारी गिरावट रही थी।
अहलूवालिया ने भी कहा, आरबीआई स्थिति पर नजर रखे हुए है। और मुझे उम्मीद है कि वह तर्कसंगत फैसला करेगा।’ इस बीच खुदरा और सकल मुद्रास्फीति में गिरावट से 17 जून को होने वाली मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में आरबीआई द्वारा मुख्य दरों में कटौती की उम्मीद है।
आईआईपी के आंकड़े पर फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा, कुल मिलाकर विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र का रझान नरम रहा है और जब तक अंतर-मंत्रालयीय मंजूरी के कारण रूकी पड़ी योजनाओं पर तेजी से अमल नहीं होता औद्योगिक वृद्धि नरम ही रहेगी। धीमी वृद्धि से चिंतित सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने रिजर्व बैंक से निवेश प्रोत्साहित करने के लिए समयानुकूल मौद्रिक नीति की मांग की। एसौचैम अध्यक्ष राजकुमार धूत ने 2 प्रतिशत औद्योगिक वृद्धि को रोजगार के लिहाज से चिंताजनक बताया।
इस बीच मार्च 2013 के औद्योगिक वृद्धि के आंकड़े को पहले जारी 2.5 प्रतिशत से संशोधित कर 3.4 प्रतिशत कर दिया गया। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2012-13 के पहले जारी औद्योगिक वृद्धि के एक प्रतिशत के आंकड़े को संशोधित कर 1.1 प्रतिशत कर दिया। विनिर्माण क्षेत्र के कुल 22 में से 13 समूहों में अप्रैल के दौरान वृद्धि दर्ज की गई।
उपभोक्ता उत्पादों के उत्पादन की वृद्धि दर भी मामूली बढ़कर 2.8 प्रतिशत रही जबकि टिकाउ उपभोक्ता उत्पादों का उत्पादन अप्रैल में 8.3 प्रतिशत घट गया। गैर-टिकाउ उपभोक्ता उत्पादों की उत्पादन वृद्धि अप्रैल में 12.3 प्रतिशत रही जबकि पिछले साल अप्रैल में यह 2.3 प्रतिशत रही थी। मध्यस्थ उत्पादों की वृद्धि 2.4 प्रतिशत रही जबकि पिछले साल के इसी माह इसमें 1.8 प्रतिशत गिरावट रही थी। मूल उत्पादों का उत्पादन अप्रैल में 1.3 प्रतिशत बढ़ा जबकि अप्रैल 2012 में यह 1.9 प्रतिशत बढ़ा था।
हालांकि, मुद्रास्फीति के मामले में थोड़ी राहत है। खुदरा मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने गिरी और मई में मामूली गिरावट के साथ 9.31 प्रतिशत पर आ गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक अप्रैल में 9.39 प्रतिशत पर था। थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति का मई का आंकड़ा शुक्रवार को आने की उम्मीद है। अप्रैल में सकल मुद्रास्फीति तीन साल के न्यूनतम स्तर 4.89 प्रतिशत पर आ गई।
रिजर्व बैंक 17 जून को आने वाली मध्य तिमाही मौद्रिक समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट पर गौर करेगा।आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए रिजर्व बैंक ने मुख्य दरों में पिछले महीने 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 12, 2013, 18:18