कमजोर मानसून से मुश्किलें बढ़ेंगी: मनमोहन

कमजोर मानसून से मुश्किलें बढ़ेंगी: मनमोहन

कमजोर मानसून से मुश्किलें बढ़ेंगी: मनमोहननई दिल्ली: आने वाले दिनों में महंगाई कम होने की उम्मीद लगाये बैठी जनता को प्रधानमंत्री के इस कथन से झटका लग सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस साल कमजोर मानसून की वजह से मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में कुछ दिक्कतें आ सकतीं हैं।

मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा ‘ हमें मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना होगा। लेकिन इसमें कुछ समस्या आ सकती है क्योंकि इस साल मानसून खराब रहा है।’

उन्होंने हालांकि, यह भी कहा कि सरकार के पास गेहूं और चावल का पर्याप्त भंडार है, खाद्यान्न आपूर्ति में कोई समस्या नहीं होगी। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर 6.87 प्रतिशत रह गई है। एक महीना पहले जून में यह 7.25 प्रतिशत थी। लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति का जहां तक सवाल है यह अभी भी 10 प्रतिशत से उपर बनी हुई है।

खाद्य पदार्थों के दाम अभी भी उंचे हैं जिससे आम आदमी का बजट प्रभावित हो रहा है। सालाना आधार पर सब्जियों के दाम 24 प्रतिशत उंचे हैं तो अंडा, मीट और मछली के दाम 16 प्रतिशत बढ़े हैं। दालों के दाम पिछले साल के मुकाबले 28.26 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कमजोर मानसून से निपटने के लिये सरकार ने उपाय किये हैं। ‘हमारा प्रयास है कि देश के किसी भी कोने में लोगों को बीज, चारा और पानी की कोई कमी नहीं हो। यह अच्छी बात है कि हमारे पास खाद्यान्न का बड़ा भंडार है।खाद्यान्न की उपलब्धता कोई समस्या नहीं है।’

उन्होंने कहा ‘ हमने स्थिति से निपटने के लिये कई उपाय किये हैं। जिन जिलों में मानसून की वष्रा सामान्य से 50 प्रतिशत तक कम रही है अथवा इससे ज्यादा कमी रही है, उन जिलों में किसानों को डीजल पर सब्सिडी दी जा रही है। बीज पर भी सब्सिडी बढ़ा दी गई है, चारे के लिये केन्द्रीय योजना के तहत उपलब्ध राशि भी बढाई गई है।’ (एजेंसी)



First Published: Wednesday, August 15, 2012, 14:21

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