Last Updated: Sunday, May 6, 2012, 14:26
नई दिल्ली : केन्द्रीय बजट में कर भुगतान से बचने के मामलों पर नजर रखने वाले ‘सामान्य कर परिवर्जनरोधी नियम (जीएएआर)’ को लेकर विदेशी निवेशकों में बढ़ती आशंका के बीच करीब एक महीने में ही भारतीय बाजारों को 10 अरब डॉलर के विदेशी निवेश के नुकसान का अनुमान है।
उद्योग सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर पी-नोट्स (भागीदारी पत्र) के जरिए भारतीय बाजारों में निवेश करने वाले इन निवेशकों ने प्रस्तावित नए कर प्रावधान को देखते हुए भारतीय प्रतिभूतियों में अपना निवेश या तो कम कर दिया या फिर टाल दिया है। प्रस्तावित नए कानून से जुड़े जो ब्यौरे सामने आए हैं वे भ्रामक हैं लेकिन आशंका है कि इससे मॉरिशस जैसे स्थानों से निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों पर कर का बोझ अधिक होगा।
इत्तफाक से ज्यादातर विदेशी कंपनियां भारत में अपना निवेश मारिशस जैसे कर के लिहाज से उपयुक्त स्थलों से ही करती हैं। भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की कुल होल्डिंग में पार्टिसिपेटरी नोट की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत से अधिक है। विदेशी निवेश पर असर से जुड़ा कोई आधिकारिक आंकड़ा हालांकि उपलब्ध नहीं है लेकिन बाजार नियामक सेबी के पास उपलब्ध आंकड़े से पता चलता है कि मार्च 2012 के अंत तक भारतीय बाजार में पी-नोट का कुल मूल्य करीब 1,65,883 करोड़ रुपए (33 अरब डॉलर) था।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, May 6, 2012, 19:56