Last Updated: Tuesday, May 8, 2012, 17:52
नई दिल्ली : वोडाफोन सौदे को कर दायरे में लाने के लिये कानून में पिछली तिथि से संशोधन को खिलाफ बने चौतरफा दबाव से विचलित हुये बिना वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आज स्पष्ट किया कि केवल विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए भारत कर चोरी के लिये पनाहगाह नहीं बनेगा।
लोकसभा में वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुये मुखर्जी ने जोर देकर कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले को विधायिका की सोच के अनुरुप ठीक करने के लिये संसद के पास कानून में संशोधन का अधिकार है। भारत ऐसी स्थिति नहीं बने रहने दे सकता जिसमें कोई भी विदेशी कंपनी किसी करमुक्त क्षेत्र से काम करते हुये भारत में कर भुगतान से बचती रहे।
वित्त मंत्री ने कहा कि मैं या तो दोहरे कराधान से बचने के समझौते (डीटीएए) को मानूंगा या फिर कर लगाया जाएगा। ऐसी कोई स्थिति नहीं मानी जाएगी, जिसमें कोई भी कंपनी भारत स्थित परिसंपत्तियों से मुनाफा कमाए और बदले में भारत में अथवा जिस देश में वह कंपनी है कहीं भी कर का भुगतान नहीं करे।
वित्त विधेयक 2012 पर हुई दो दिन की चर्चा का उत्तर देते हुये करीब एक घंटे के अपने जवाब में वित्त मंत्री ने वोडाफोन मामले पर खुलकर अपनी बात कही। पूरे जोश में नजर आ रहे वित्त मंत्री ने कहा कि वोडाफोन पर कर लगाना कालेधन का मुकाबला करने जैसा है। मुखर्जी के जवाब के बाद सदन ने सरकारी संशोधनों के साथ वित्त विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। वित्त विधेयक में जब से आयकर कानून में पिछली तिथि से संशोधन का प्रावधान सामने आया तभी से अंतरराष्ट्रीय कारोबारी संगठन और घरेलू उद्योग भी सरकार के इस कदम के खिलाफ अभियान चलाये हुए हैं।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 8, 2012, 23:52