Last Updated: Sunday, February 17, 2013, 18:03
नई दिल्ली : मॉरीशस का कहना है कहा कि भारत और मॉरीशस में संशोधित कर संधि को पूरा करने में आड़े आ रहे मुद्दों को सुलझाने के लिए निश्चित रूप से राजनीतिक इच्छाशक्ति है।
संधि में संशोधन के जरिए मारीशस से भारत में होने वाले निवेश और भारत से इस देश में होने वाले धन प्रवाह में निवेश के द्विपक्षीय प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने पर जोर होगा। दोनों देश तीन दशक पुरानी संधि के दुरुपयोग को रोकने पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। विशेषकर यह देखते हुए कि भारत में ज्यादातर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) मॉरीशस के रास्ते आता है। इसे आमतौर पर कर बचाने के लिए धन के प्रवाह के रूप में देखा जाता है।
अपनी भारत यात्रा के दौरान मॉरीशस के उद्योग, वाणिज्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री कादर सैयद हुसैन ने कहा, ‘भारत और मॉरीशस के बीच दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) पर कुछ मुद्दे हैं। दोनों देश इसे सुलझा रहे हैं।’
हुसैन ने कहा कि इन मुद्दों को सुलझाने के लिए निश्चित रूप से राजनीतिक इच्छाशक्ति है। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को दोनों देशों की संतुष्टि के आधार पर सुलझाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसमें जो समय लगना चाहिए लगेगा। ‘सब कुछ संयुक्त कार्यसमूह के विचार-विमर्श पर निर्भर करेगा।’ दोनों देशों के सदस्यों को लेकर 2006 में एक संयुक्त कार्यसमूह का गठन किया गया था। इसका मकसद द्विपक्षीय कर संधि के दुरुपयोग को रोकने के उपाय करना था।
अन्य बातों के अलावा भारत संधि में बदलाव चाहता है, जिससे स्रोत पर आधारित पूंजीगत लाभ कराधान के बारे में सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सके। इसके साथ ही इसमें लाभ सीमा के बारे में भी प्रावधान शामिल करने पर विचार चल रहा है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, February 17, 2013, 18:03