Last Updated: Sunday, July 14, 2013, 13:55
नई दिल्ली : पर्यावरण मंत्रालय की एक शीर्ष सलाहकार इकाई ने सिफारिश की है कि सेसागोवा की कर्नाटक स्थित लौह अयस्क खदान को वन संबंधी मंजूरी प्रदान की जाए। इससे वेदांता समूह की कंपनी का राज्य में दो साल बाद परिचालन बहाल होने का रास्ता साफ होगा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में पर्यावरण मंत्रालय का अंतिम फैसला भी इसी महीने आने की उम्मीद है। पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति ने कहा कि विचार विमर्श के बाद सेसागोवा को मंजूरी की सिफारिश की गयी है।
यह सलाहकार समिति वन से जुडे मुद्दों में मंत्रालय की शीर्ष सलाहकार इकाई है। इसने 10 और 11 जून को हुई बैठकों में सेसागोवा के आवेदन पर विचार किया था। इस समय भारत में सेसागोवा के सभी खनन परिचालन बंद हैं। मुख्य रूप से ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने गोवा और कर्नाटक में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंध अभी भी जारी है लेकिन कर्नाटक में अप्रैल में उच्चतम न्यायालय ने प्रतिबंध उठा लिया था।
सेसागोवा की खदानें चित्रदुर्ग जिले में हैं। कंपनी प्रतिबंध हटाये जाने का फायदा नहीं उठा सकी क्योंकि उसकी खनन पट्टा अक्तूबर, 2012 में ही समाप्त हो गया था। खनन पट्टा समाप्त होने के बाद कंपनी की वन संबंधी मंजूरी भी खत्म हो गयी। वन संबंधी मंजूरी मिलने के बाद ही कंपनी पट्टे का नवीकरण होने तक कर्नाटक में खनन कार्य फिर से शुरू कर सकती है। सेसागोवा के एक प्रवक्ता ने कहा कि आवश्यक मंजूरियां हासिल होने के बाद कंपनी खनन कार्य बहाल करने को तैयार है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि महीने के अंत तक कंपनी कर्नाटक में खनन शुरू कर सकेगी।
सेसागोवा की चित्रदुर्ग खदान कर्नाटक की उन 166 खदानों में से एक है, जिस पर पर्यावरणीय क्षति के कारण जुलाई-अगस्त 2011 के दौरान शीर्ष अदालत ने प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंध से पहले यह कर्नाटक में सबसे अधिक अयस्क उत्पादक खदान थी, जिसकी सालाना क्षमता 60 लाख टन है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 14, 2013, 13:55