Last Updated: Monday, February 25, 2013, 20:58

नई दिल्ली : कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति कोष का प्रबंध करने वाली संस्था ईपीएफओ ने अपने करीब पांच करोड़ खाताधारकों की भविष्य निधि पर 2012-13 के लिए 8.5 फीसद की दर से ब्याज देने का फैसला किया है। इससे पिछले वित्त वर्ष में 8.25 फीसद की दर से ब्याज दिया गया था।
कर्मचारी यूनियनों ने इसे कम बताते हुए इस फैसले पर आपत्ति जताई है। यह फैसला केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में किया गया। यह बोर्ड कर्मचारी भविष्य निधि कोष संगठन (ईपीएफओ) के मामलों में निर्णय करने वाली सर्वोच्च समिति है। इसकी बैठक की अध्यक्षता श्रम मंत्री मल्लिकाजरुन खड़गे ने की।
सीबीटी की बैठक के बाद आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के सचिव डी एल सचदेव ने कहा, ‘भविष्य निधि जमा पर (2012-13 के लिए) 8.5 फीसद की दर से ब्याज चुकाने का फैसला किया गया है, लेकिन हमने इस पर आपत्ति जाहिर की है क्योंकि हम इससे ज्यादा ब्याज दर के हक में हैं।’
इससे पहले ईपीएफओ द्वारा वित्त एवं निवेश समिति (एफआईसी) की 15 फरवरी की बैठक के लिए तैयार नोट में कहा था,‘2012-13 के लिए 8.5 फीसद की ब्याज दर व्यावहारिक है।’
ईपीएफओ के अनुमान के मुताबिक इस वित्त वर्ष के लिए भविष्य निधि पर 8.6 फीसद की ब्याज दर देने से 240.49 करोड़ रुपए का घाटा होगा जबकि 8.5 फीसद की ब्याज दर से ईपीएफओ के पास 4.13 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि बचेगी।
इससे पहले 15 फरवरी को हुई एफआईसी की बैठक में श्रमिक संगठनों के नेताओं ने चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दर चुकाने से जुड़ी चर्चा में भाग नहीं लिया था क्योंकि इस मुद्दे से जुड़ा एजेंडा नोट उन्हें पहले मुहैया नहीं कराया गया था।
ईपीएफ पर ब्याज दर की अधिसूचना वित्त मंत्रालय की सहमति से जारी की जात है। सामान्यत: ब्याज दर की घोषणा वित्त वर्ष के शुरू में ही कर दी जाती है पर इस साल इसमें विलम्ब हुआ। 2010-11 में ईपीएफ पर ब्याज 9.5 प्रतिशत था। (एजेंसी)
First Published: Monday, February 25, 2013, 20:58