कानून बदले तो CRR पर ब्याज देने में हिचक नहीं: चक्रबर्ती-Existing laws don`t allow interest on CRR: Chakrabarty

कानून बदले तो CRR पर ब्याज देने में हिचक नहीं: चक्रबर्ती

कानून बदले तो CRR पर ब्याज देने में हिचक नहीं: चक्रबर्तीमुंबई : रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर केसी चक्रबर्ती ने कहा है कि अगर कानून में बदलाव किया जाए तो बैंक अपने पास रखी वाणिज्यिक बैंकों की आरक्षित नकदी पर ब्याज का भुगतान कर सकता है। चक्रबर्ती ने कहा, ‘‘ मौजूदा कानून के तहत हम सीआरआर पर ब्याज का भुगतान नहीं कर सकते..सरकार को नियम में बदलाव करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि यदि सीआरआर बैंकों के लिए एक लागत है तो वे इसका समायोजन कहीं और भी तो कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि बैंकों पर सीआरआर इस लिए लगाया जाता है क्यों कि केवल बैंक ही अपनी ओर से धन का सृजन कर सकते है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा व्यवस्था के तहत बैंकों को अपने पास जमा पैसे का हिस्सा आरक्षित नकदी के रूप से रिजर्व बैंक के नियंत्रण में रखना होता है पर उस पर उन्हें ब्याज नहीं मिलता। रिजर्व बैंक जब सीआरआर बढा देता है है तो बैंकों के पास रिण सृजन के लिए नकदी कम रह जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ पैसा कौन बनाता है?.. यह केवल बैंक जमा ही है जिसके जरिए पैसा बनाया जाता है। यही वजह है कि सीआरआर केवल बैंकों पर लगाया जाता है. अगर बैंक एनबीएफसी को धन देते हैं तो वह पैसा न केवल एनबीएफसी के पास जाएगा, बल्कि वह किसी बैंक में खुले एनबीएफसी के बैंक खातों में ही जाएगा।’’ चक्रबर्ती ने कहा कि सीआरआर के मामलों में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), बीमा कंपनियां या किसी अन्य वित्तीय संस्थान की तुलना बैंकों से नहीं की जा सकती क्योंकि वे धन का सृजन नहीं करते। इस समय, सीआरआर 4.25 प्रतिशत है। (एजेंसी)

First Published: Monday, December 10, 2012, 18:19

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