Last Updated: Sunday, January 8, 2012, 10:51
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की ओर से राजधानी में ग्राहकों से ‘अवैध’ शुल्क वसूलने पर कार विक्रेताओं को चेतावनी नोटिस जारी किए जाने के बाद सरकार और कार विक्रेताओं के बीच में ठन गई है।
दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका के बाद परिवहन विभाग ने शहर के 124 कार डीलरों को नोटिस जारी करते हुए हैंडलिंग, लोडिंग, अपलोडिंग के लिए शुल्क नहीं लेने को कहा है। सरकार के इस कदम का कारोबारियों ने जोरदार तरीके से विरोध किया है। वकील सी राजाराम द्वारा अदालत में दायर जनहित याचिका के बाद यह नोटिस जारी किया गया। उन्होंने आरोप लगाया है कि कार डीलर्स ग्राहकों से अवैध शुल्क वसूल रहे हैं। इस संबंध में परिवहन अधिकारियों और विक्रेताओं के बीच में कथित गठजोड़ के बारे में भी उन्होंने सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की है।
जनहित याचिका के मुताबिक ‘अवैध शुल्क’ प्रति वाहन 3,500 रूपए से लेकर 25,000 तक रहता है और यह गाड़ी के प्रकार और कीमत पर भी निर्भर करता है। उन्होंने शहर के 69 कार डीलरों को वाहन मालिकों से ‘अवैध तरीके से एकत्र राशि’ को भी लौटाने को कहा है।इस मामले पर ऑटोमोबाइल्स डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव गुलशन आहूजा ने कहा, ‘हम दोषी नहीं हैं। हम सिर्फ विनिर्माण इकाईयों द्वारा अधिकृत राशि ही ले रहे हैं। अतिरिक्त सबूत के तौर पर हमने विनिर्माण इकाई के एक पत्र को भी परिवहन विभाग को भेजा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत में हमारा बचाव करने की जगह उन्होंने हमें चेतावनी देते हुए नोटिस जारी किया है।’
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि उचित तंत्र के अभाव में वे कार विक्रेताओं द्वारा अतिरिक्त शुल्क वसूली पर रोक लगाने में नाकाम हैं। हालांकि उन आरोपों को खारिज कर दिया कि अधिकारियों और कार डीलर्स के बीच में एक गुप्त सांठ-गांठ है। परिवहन विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘याची और कार डीलर्स कह सकते हैं कि वे क्या चाहते हैं। हम अपना जवाब अदालत में देंगे।’
(एजेंसी)
First Published: Sunday, January 8, 2012, 16:21