Last Updated: Sunday, March 10, 2013, 19:31

मुंबई : नागर विमानन क्षेत्र के नियामक डीजीसीए ने कहा है कि वह किंगफिशर एयरलाइंस के उड़ान लाइसेंस के नवीकरण पर तभी विचार करेगा जब विमानन कंपनी कर्मचारियों के बकाये वेतन सहित सभी तरह के बकाये का भुगतान कर देगी।
डीजीसीए सूत्रों ने कहा, ‘‘एयरलाइन (किंगफिशर एयरलाइंस) पिछले छह महीने से अपने कर्मचारियों का बकाया वेतन देने का वादा कर रही है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया है। इसके अलावा, उड़ान लाइसेंस का नवीकरण का मामला ना केवल कर्मचारियों के बकाया वेतन से जुड़ा है, बल्कि उसके आपूर्तिकर्ताओं और पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों की भारी बकाया राशि से भी जुड़ा है।’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमें लाइसेंस नवीकरण के लिए कंपनी का आवेदन स्वीकार करने से पहले इन सभी बकायों को ध्यान में रखना पड़ेगा।’
सूत्रों ने कहा कि विमानन कंपनी को एक विश्वसनीय बहाली योजना के साथ सामने आने की जरूरत है जिसमें सभी भागीदारों के बकाये का भुगतान करने की प्रतिबद्धता शामिल होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कंपनी प्रबंधन कर्मचारियों की बकाया तनख्वाह देने के अपने वादे को पूरा करने में बार बार विफल रहा है।
पिछले सप्ताह, किंगफिशर एयरलाइंस के मुख्य कार्यकारी संजय अग्रवाल ने उड़ान लाइसेंस का नवीकरण कराने के उद्देश्य से डीजीसीए के अधिकारियों से मुलाकात की थी। निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी किंगफिशर पिछले साल अक्तूबर से ही उड़ान परिचालन से बाहर है और दिसंबर में उसका उड़ान परमिट निलंबित कर दिया गया था।
किंगफिशर एयरलाइंस और डीजीसीए के बीच मुलाकात ऐसे समय हुई जब इस तरह की रिपोर्टें थी कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय विजय माल्या की एयरलाइंस को आवंटित घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का अधिकार दूसरी एयरलाइनों को दे सकती है। जेट एयरवेज पहले ही इसके लिये आवेदन कर चुकी है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 10, 2013, 19:31