किंगफिशर ने सरकार से नहीं मांगा बेलआउट - Zee News हिंदी

किंगफिशर ने सरकार से नहीं मांगा बेलआउट



जी न्‍यूज ब्‍यूरो/एजेंसी

मुंबई : किंगफिशर के चेयरमैन विजय माल्‍या ने कहा कि किंगफिशर को संकट से उबारने की कोशिश जारी हैं और जल्‍द ही कोई समाधान निकल जाएगा। साथ ही, उन्‍होंने यह भी स्‍पष्‍ट किया उन्‍होंने केंद्र सरकार से किसी भी तरह की बेलआउट पैकेज की मांग नहीं की है। वह मंगलवार को मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।

 

वित्तीय संकट से जूझ रही निजी क्षेत्र की किंगफिशर एयरलाइंस के चेयरमैन विजय माल्या ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने कंपनी को संकट से निकालने के लिए सरकार से मदद नहीं मांगी है। माल्या ने कहा कि वह चाहते हैं कि बैंक लघु अवधि के लिए एयरलाइन की कार्यशील पूंजी की जरूरत और ब्याज छूट के रूप में 700 से 800 करोड़ रुपये की मदद उपलब्ध कराएं।

 

राजनीतिक दल किंगफिशर को किसी तरह की सरकारी मदद का जोरदार विरोध कर रहे हैं। इस बारे में स्थिति साफ करते हुए माल्या ने कहा कि हमने सरकार से किसी तरह का बेलआउट नहीं मांगा है। हमने सरकार से करदाताओं का धन देने को नहीं कहा है। हमने ऐसा कभी नहीं किया है और कभी कर भी नहीं सकते। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में किंगफिशर एयरलाइंस को 468.66 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। नतीजों की घोषणा के बाद माल्या ने संवाददाताओं से कहा, हमारी बैंकों के साथ खुले ऋण पत्र के लिए बातचीत चल रही है। इसके जरिए हम ऊंची लागत वाले कर्ज चुका सकते हैं।

 

किंगफिशर एयरलाइंस के मुखिया ने कहा कि हमने किसी तरह की रियायत नहीं मांगी है। हमारी बैंकों से सिर्फ दो मांगें हैं। लघु अवधि की पूंजी जरूरत को पूरा करना और ब्याज पर रियायत। माल्या ने यह भी कहा कि हमने बैंकों से ऋण के पुनर्गठन की मांग भी नहीं की है।

 

किंगफिशर को 2010-11 में 1,027 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। कंपनी पर 7,057.08 करोड़ रुपये का ऋण का बोझ है। भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में 13 बैंकों के गठजोड़ के पास एयरलाइन की 23.4 फीसद हिस्सेदारी है। बैंकों का एयरलाइंस में निवेश 7,700 करोड़ रुपये का है। यह पूछे जाने पर कि एयरलाइंस को कितनी कार्यशील पूंजी की जरूरत है, माल्या ने कहा कि हमें 700-800 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसमें कोष और गैर कोष दोनों हैं। हमने पूंजी जुटाने के सभी अवसरों को तलाशा है।

 

माल्या ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विमानन उद्योग को संकट से निकालने का तरीका ढूंढने संबंधी बयान का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री हैं, जो कनेक्टिविटी के महत्व को जानते हैं। तेल विपणन कंपनियों के बकाये के बारे में माल्या ने कहा कि एयरलाइन को दो सार्वजनिक क्षेत्र कंपनियों इंडियन आयल और भारत पेट्रोलियम का एक पैसा भी बकाया नहीं है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम के 600 करोड़ रुपये के असुरक्षित बकाये के बारे में पूछे जाने पर माल्या ने कहा, ‘तेल कंपनियों को बैंक गारंटी दी गई है। हमारा असुरक्षित ऋण अब घटकर सिर्फ 40 करोड़ रुपये रह गया है।

 

माल्या ने बताया कि उन्होंने जेट ईंधन के सीधे आयात के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) को लिखा है। इससे हमारी ईंधन की लागत घटेगी। एयरलाइंस की परिचालन लागत में जेट ईंधन की हिस्सेदारी लगभग 50 फीसद है। पिछले एक सप्ताह के दौरान एयरलाइन द्वारा 200 से अधिक उड़ानें रद्द करने के फैसले को माल्या ने पूरी तरह व्यावसायिक रूप से उठाया गया उचित कदम बताया।

 

उन्होंने कहा कि हमने उड़ानें इसलिए रद्द नहीं कीं कि हम उनका संचालन करने की स्थिति में नहीं थे। आज भी हम अपनी उड़ानों का संचालन करने की क्षमता रखते हैं। यह व्यावसायिक दृष्टि से उठाया गया कदम है।

First Published: Wednesday, November 16, 2011, 12:19

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