किसानों की आत्महत्या गंभीर मसला: शरद पवार

किसानों की आत्महत्या गंभीर मसला: शरद पवार

किसानों की आत्महत्या गंभीर मसला: शरद पवारनई दिल्ली : कृषि मंत्री शरद पवार ने किसानों की आत्महत्या को एक गंभीर मुद्दा बताते हुए आज कहा कि ऐसे घटनाएं अब कम हुई है। पवार ने यहां आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने तथा किसानों की आय बढ़ाने के उपायों पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। इसी संबंध में उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि का उल्लेख किया।

किसानों की आत्महत्या के बारे में एक सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा, यह सच है कि यह हमारे सामने यह गंभीर मसला है। हालांकि किसानों की आत्महत्याएं अब पहले की तुलना में कम हुई हैं। पवार ने कहा कि आत्महत्या के पीछे सूखे के कारण फसल को नुकसान, बीमारी और अन्य कई कारण हैं। उन्होंने कहा, एमएसपी में वृद्धि और अन्य कदम किसानों की स्थिति में सुधार लाने में मदद करेगा। सरकार कृषि निवेश को बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है।

किसानों की आत्महत्या की संख्या में गिरावट आने के बारे में अपने टिप्पणी के समर्थन में पवार ने कहा कि वर्ष 2006 में कृषि कारणों से महाराष्ट्र में 1,035 आत्महत्या के मामले हुए। वर्ष 2008 में यह घटकर 800 रह गया, वर्ष 2007 में यह संख्या 700 रह गई और वर्ष 2010 में यह संख्या बढ़कर 740 हो गयी जो संख्या वर्ष 2011 में घटकर 480 रह गई। उन्होंने कहा, अभी तक इस वर्ष में महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के 168 मामले प्रकाश में आये हैं। पवार ने कहा कि इसी प्रकार से आंध्र प्रदेश में वर्ष 2006 में 757 मामले सामने आए जबकि 2011 में यह संख्या 196 रही।

हाल में समाप्त हुए संसद के मानसून सत्र में सरकार के द्वारा प्रस्तुत किये गये ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1995 से 2011 के दौरान कम से कम 2,90,740 किसानों ने आत्महत्या की। बताया गया कि इसके पीछे दीवालियापन अथवा आर्थिक हैसियत में अचनाक आया परिवर्तन और गरीबी जैसे विभिन्न कारण है। सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अगस्त तक कम से कम 152 किसानों की आत्महत्या के मामले प्रकाश में आये। पिछले पूरे वर्ष में 14,027 किसानों ने आत्महत्या की। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, October 9, 2012, 23:37

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