Last Updated: Tuesday, April 30, 2013, 16:32

नई दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को कहा कि कृषि भूमि पर संपत्ति कर लगाने का उसका कोई इरादा नहीं है और इस विषय पर भ्रम को दूर करने के लिए संबंधित प्रावधान में मंगलवार को संशोधन पेश किया गया है।
वित्त विधेयक पर विचार के दौरान वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सदन को बताया कि इस विषय में हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय के आदेश के कारण भ्रम पैदा हो गया था कि कृषि भूमि पर सम्पत्ति कर लगाया जाएगा। लेकिन संप्रग सरकार की नीति कृषि भूमि पर सम्पत्ति कर लगाने की कभी नहीं रही।
उन्होंने कहा कि इस विषय पर हरियाणा के मुख्यमंत्री के अलावा प्रताप सिंह बाजवा और मनीष तिवारी ने ध्यान दिलाया। हमने इस विषय पर चर्चा की। कल इस बारे में संशोधन का मसौदा तैयार किया और कल रात ही राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी। आज हम इस बारे में संशोधन पेश कर रहे हैं। चिदंबरम ने कहा कि इस बारे में कानून वही रहा है जो साल 1993 से चला आ रही है। हम पूरी तरह से स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि कृषि भूमि पर सम्पत्ति कर लगाने का हमारा कभी भी कोई इरादा नहीं रहा और अब इस विषय पर कोई विवाद नहीं खड़ा होना चाहिए।
शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि केंद्र सरकार इस बारे में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है और यदि यह अफवाह थी तो संशोधन पेश करने की क्या जरूरत थी। उन्होंने कहा कि हमारे पास काफी संख्या में किसानों को आयकर विभाग से मिले नोटिस की प्रति है जिसमें कृषि भूमि पर सम्पत्ति कर मांगा गया है।
हरसिमरत कौर ने कहा कि राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में भी सरकार ने कहा था कि उसे कृषि भूमि पर संपत्ति कर लगाने की जानकारी है। वहीं, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कांग्रेस का हाथ हमेशा से किसानों के साथ रहा है और यह संशोधन किसानों के हितों के लिए मील का पत्थर है। बाजवा ने अकाली दल सदस्यों की ओर इशारा करते हुए उन पर भूमि माफिया से मिले होने का आरोप लगाया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 30, 2013, 16:32