Last Updated: Friday, August 17, 2012, 22:07
नई दिल्ली : रिलायंस पावर लिमिटेड ने कैग की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि कैग की गणना गलत है और कंपनी को किसी तरह का कोई अनुचित लाभ नहीं पहुंचा है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने संसद में शुक्रवार को पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रिलायंस पावर को उसकी सासन बिजली परियोजना के लिए आवंटित कोयला खानों के अतिरिक्त कोयले का इस्तेमाल दूसरी परियोजना में करने की अनुमति दिए जाने से कंपनी को 29,033 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचा।
रिलायंस पावर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी जे.पी. चालसानी ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, कैग की गणना ठीक नहीं है, रिलायंस पावर को कोई अनुचित लाभ नही हुआ, अधिशेष कोयला से बनने वाली बिजली को शुल्क आधारित प्रतिस्पर्धी बोलियों के आधार पर बेचा जा रहा है।
चालसानी ने कहा कि कैग ने रिलायंस पावर को होने वाले लाभ की गणना सासन और चितरंगी परियोजनाओं के अलग अलग शुल्क के आधार पर की है।
उन्होंने कहा, कोई भी दो परियोजनाओं में समान शुल्क नहीं रह सकता चाहे कोयला स्रोत दोनों का एक ही हो, और चाहे उसी स्थान पर विस्तार परियोजना खड़ी हो रही है।
रिलायंस पावर ने एक बयान में कहा, अधिशेष कोयले का इस्तेमाल करने की अनुमति देने के निर्णय को ईजीओएम द्वारा दो अलग अलग अवसरों (2008 और 2012 में) पर मंजूरी दी गई।
महान्यायवादी के विचार के आधार पर यूएमपीपी पर ईजीओएम ने अप्रैल, 2012 में पुष्टि की कि सासन यूएमपीपी से अधिशेष कोयले के उपयोग की अनुमति देने का निर्णय काफी सोच विचार के बाद किया गया था।
बयान में कहा गया कि इस निर्णय की समीक्षा की कैग की सिफारिश को पहले ही लागू किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) ने कंपनी को तीन खानों. मोहर, मोहर अमलोहरी और छत्रसाल से अधिशेष कोयला राज्य में एक दूसरी परियोजना. चितरंगी के लिए उपयोग में लाने की अनुमति दी थी। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 17, 2012, 22:07