कॉरपोरेट जगत में अर्श से फर्श पर पहुंचे रजत गुप्ता

कॉरपोरेट जगत में अर्श से फर्श पर पहुंचे रजत गुप्ता

कॉरपोरेट जगत में अर्श से फर्श पर पहुंचे रजत गुप्तान्यूयार्क : दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के औद्योगिक गलियारों में जिस व्यक्ति की कभी तूती बोलती थी, उसे भेदिया कारोबार के सबसे बड़े मामले में दोषी ठहराया जाना किसी नाटकीय घटनाक्रम से कम नहीं है। लेकिन यह जमीनी हकीकत है जो भारतीय-अमेरिकी रजत गुप्ता के अमेरिकी कारपोरेट जगत के अर्श से फर्श तक आने की अकल्पनीय कहानी कहती है।

कल अमेरिका की संघीय जिला अदालत के न्यायाधीश जेड रैकॉफ ने गुप्ता को दो साल की कैद की सजा सुनाई। इसके अलावा उन पर 50 लाख डालर का जुर्माना भी लगाया गया है। 63 साल के गुप्ता कभी अमेरिका में सबसे अधिक सफल भारतीय मूल के उद्यमी बनकर उभरे थे। लेकिन भेदिया कारोबार के आरोपों को स्वीकारने के बाद उन्हें ‘ कपटी और बेईमान’ कहा जा रहा है।

मैनहट्टन के शीर्ष संघीय अभियोजक प्रीत भरारा ने गुप्ता के खिलाफ भेदिया कारोबार के आरोप लगाए थे। इसके बाद पिछले साल दीवाली के दिन गुप्ता ने संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। एक साल बीत गया और भारत में जब दशहरा मनाया जा रहा था तब अमेरिका में जिला जज जेड रैकोफ ने गुप्ता को सजा सुनाई।

कोलकाता के मनिकटाला में जन्मे गुप्ता के पिता स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार थे जबकि मां अध्यापिका थीं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद गुप्ता वजीफे पर हार्वर्ड बिजनेस स्कूल पहुंचे और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इसी दौरान उनकी माता का असमय निधन हो गया। (एजेंसी)

First Published: Thursday, October 25, 2012, 09:29

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