Last Updated: Tuesday, August 28, 2012, 21:30

नई दिल्ली : भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने तेल एवं गैस उत्खनन को अपेक्षित महत्व न देने और अपनी खोज का फायदा उठाने में पीछे रहने के लिए सरकारी कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की खिंचाई की है।
संसद में मंगलवार को पेश कैग की रपट में नई जगहों पर ओएनजीसी के तेल की खोज के प्रयासों में कमी और अपेक्षित परिणाम न दिखने पर चिंता जाहिर की है।
सरकारी अंकेक्षक ने पेट्रोलियम मंत्रालय को सलाह दी है कि वह स्थिति सुधारने के लिए ओएनजीसी के लिए वाषिर्क सहमति ज्ञापन (एमओयू) में तय लक्ष्यों को पुनर्निर्धारित करे।
रपट में कहा गया है, ओएनजीसी ने उत्खनन को अपेक्षित महत्व नहीं दिया जब कि यह उसकी मुख्य गतिविधि है। उत्खनन को कमतर प्राथमिकता देने के साथ-साथ ही वाषिर्क समझौते में लक्ष्य तय करने व इसकी सूचना देने और प्रदर्शन के आकलन से जुड़ी गड़बड़ियां भी की हैं जिससे संबद्ध पक्ष गुमराह हो सकते हैं।
कैग ने कहा कि ओएनजीसी का भंडार प्रतिस्थापन अनुपात अच्छा है लेकिन उत्पादन स्थिर है।
सरकारी लेखा परीक्षक ने कहा है, ओएनजीसी अपनी नई खोज का फायदा उठाने में पीछे रहने जिसके कारण उत्पादन कम हुआ।
कैग के मुताबिक, बाहरी कंपनियों के साथ कंपनी के प्रदर्शन की तुलना नहीं गई है। घरेलू स्तर पर ओएनजीसी ड्रिलिंग क्षमता के मामले में निजी और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (आयल इंडिया लिमिटेड) आदि के मुकाबले सबसे नीचे है। इसके चलते कंपनी समय पर योजनाएं पूरी नहीं कर सकी और उसे क्षति-पूर्ति के लिए भुगतान करने पड़े।
कैग ने परिचालन (खरीद, नियुक्ति और अनुबंध) में कई तरह की कमी का उल्लेख किया। संस्था ने कहा कि हालांकि ओएनजीसी आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करती है लेकिन इसके पास अपनी तकनीकी क्षमता के स्वतंत्र आकलन की प्रणाली नहीं है जिसके कारण कंपनी के शेयरधारक आश्वस्त नहीं हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 28, 2012, 21:21