`कोयले के दाम गिरने से बिजली का रेट घटाना चाहिए`

`कोयले के दाम गिरने से बिजली का रेट घटाना चाहिए`

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले की कीमत घटती है तो बिजली उत्पादन कंपनियों को भी अपना शुल्क घटाना चाहिए। यह बात बिजली क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने कही। पूर्व बिजली सचिव और बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञ आर वी शाही ने कहा कि आयातित कोयले की कीमत में बढ़ोतरी के कारण जो कंपनियां शुल्क में बढ़ोतरी कर रही हैं उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमत घटने पर शुल्क घटाना चाहिए।

केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) के अडाणी पावर और टाटा पावर जैसी निजी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले की कीमत बढ़ने की स्थिति में मुआवजा पैकेज देने के आदेश का स्वागत करते हुए शाही ने कहा, ‘‘सीईआरसी ने माना है कि इंडोनेशिया में कानून में बदलाव से भारत में स्थापित हो रही कंपनियों को वहां से आयातित कोयले के लिए अधिक कीमत अदा करनी पड़ रही है। ऐसे में इन कंपनियों को इसकी भरपाई की जानी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि भरपाई वाला शुल्क परिस्थिति के मुताबिक बदल सकता है और इसमें दोनों ओर से संशोधन होगा।

शाही ने कहा, ‘‘इंडोनेशिया से आयातित कोयले की कीमत में बढ़ोतरी के मद्देनजर शुल्क बढ़ा रही कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय कीमत में कमी की स्थिति में शुल्क घटाना भी चाहिए।’’ इससे पहले इसी महीने सीईआरसी ने अपने आदेश में कहा कि अडाणी पावर को मुंदड़ा परियोजना के लिए मुआवजा पैकेज देना चाहिए जो संयंत्र के लिए आयातित कोयले की लागत में बढ़ोतरी के मद्देनजर राहत प्रदान करेगा।

कंपनी ने पिछले साल गुजरात की 1,980 मेगावाट की मुंदड़ा परियोजना के शुल्क में संशोधन में के लिए यह कहते हुए संपर्क किया था कि आयातित कोयले की कीमत बढ़ गई है। इसी तरह के मामले में सीईआरसी ने टाटा पावर को मुंदड़ा की 4,000 मेगावाट की अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना से उत्पादित बिजली का शुल्क बढ़ाने की अनुमति दी थी। (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 28, 2013, 13:08

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