खाद्य महंगाई दर शून्य से नीचे - Zee News हिंदी

खाद्य महंगाई दर शून्य से नीचे

नई दिल्ली: सब्जियां, प्याज, आलू और गेहूं जैसी आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमत में कमी के बीच खाद्य मुद्रास्फीति 24 दिसंबर 2011 को समाप्त सप्ताह के दौरान घटकर शून्य से 3.36 फीसद नीचे (नकारात्मक) गिर गई।

 

 

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘ उल्लेखनीय सुधार हुआ है। खाद्य मुद्रास्फीति हाल के दिनों में पहली बार शून्य से नीचे गई है।’

 

खाद्य मुद्रास्फीति के आकलन का आधार वर्ष 2004-05 है और जब से उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक पिछले छह साल में पहली बार खाद्य मुद्रास्फीति में सालाना स्तर पर गिरावट दर्ज हुई है।

 

थोकमूल्य सूचकांक के आधार पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति इससे पूर्व सप्ताह 0.42 फीसद जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह करीब 21 फीसद पर थी।

 

यहां जारी आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक प्याज समीक्षाधीन अवधि में 73.74 फीसद सस्ता हुआ जबकि आलू की कीमत 34.01 फीसद कम हुई। गेहूं की कीमत 3.41 फीसद गिरी।

 

कुल मिलाकर सब्जियां 24 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 50.22 फीसद सस्ती हुईँ। नवंबर के पहले सप्ताह से खाद्य कीमतों की मंहगाई दर में उल्लेखनीय गिरावट हुई । इससे पहले यह दहाई अंक में थी।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति की अगली तिमाही मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती के विकल्प पर विचार करने में मदद करेगा। अगली तिमाही समीक्षा इसी महीने होनी है।समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अन्य खाद्य उत्पाद सालाना स्तर पर और मंहगे हुए। दाल, मांस-मछली, अंडे आदि प्रोटीनयुक्त उत्पाद मंहगे हुए।

 

दालें 24 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 13.85 फीसद मंहगी हुईं जबकि दूध 9.49 फीसद मंहगा हुए। अंडे, मांस और मछली की कीमत सालाना आधार पर 13.82 फीसद बढ़ी। फल भी सालाना स्तर पर 10.87 फीसद मंहगे हुए जबकि अनाज की कीमत 1.97 फीसद बढ़ी।

 

प्राथमिक उत्पाद खंड के उत्पादों की मुद्रास्फीति 0.10 फीसद रही जबकि पिछले सप्ताह यह 2.70 फीसद थी। प्राथमिक उत्पादों को थोक मूल्य सूचकांक में 20 फीसद योगदान है।

 

गैर खाद्य खंड की मंहगाई दर समीक्षाधीन सप्ताह में 0.85 फीसद थी जो 17 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 0.28 फीसद थी। ईंधन और बिजली क्षेत्र की मुद्रास्फीति 14.60 फीसद रही जो इसके पिछले सप्ताह 14.37 फीसद थी।

 

सकल मुद्रास्फीति दिसंबर 2010 से नौ फीसद से उपर बनी हुई है। इस साल नवंबर में यह 9.11 फीसद के स्तर पर थी। इस साल नवंबर में 9.11 फीसद पर थी।

 

आरबीआई ने मांग पर नियंत्रण और मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए मार्च 2010 से ब्याज दरों में 13 बार बढ़ोतरी की।

 

मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने कहा था कि उसे मांग और आपूर्ति के फर्क के कारण दिसंबर तक मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने की उम्मीद है। इसके बाद मार्च 2012 तक घटकर यह सात फीसद के स्तर पर पहुंच जाएगी। (एजेंसी)

First Published: Thursday, January 5, 2012, 12:54

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