Last Updated: Monday, December 24, 2012, 15:30

नई दिल्ली : भारतीय कृषि क्षेत्र की लागत और उपजों के मूल्य पर सरकार को सुझाव देने वाले एक उच्चस्तरीय अधिकारी ने कहा है कि समाज कल्याण के इस महत्वाकांक्षी कार्य्रकम की दीर्घकालिक व्यावहार्यता पर और बहस की जजरूरत है।
खाद्य विधेयक पर साझे में लिखे एक पर्चे में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के प्रमुख अशोक गुलाटी ने खाद्य विधेयक में खामियों का भी जिक्र किया है। परामर्श पत्र में यह भी सलाह दी गई है कि सरकार सब्सिडीशुदा खाद्य की हाजिर आपूर्ति के बजाय सशर्त नकदी हस्तांतरण (सीसीटी) पर विचार करे क्योंकि वैश्विक स्तर पर खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हासिल करने में सीसीटी को अधिक प्रभावी पाया गया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक (एनएफएसबी) को लोकसभा में पेश किया जा चुका और संसद की स्थायी समिति इस पर विचार कर रही है। इसकी रपट संसद के अगले सत्र में आ सकती है। इस विधेयक से देश की 67 प्रतिशत जनसंख्या को सब्सिडीशुदा अनाज का कानूनी अधिकार मिलेगा।
परामर्श पत्र में गुलाटी ने व्यक्तिगत रूप से कहा है, ‘विधेयक अपने मौजूदा स्वरूप में कुछ बड़ी परिचालनगत तथा वित्तीय चुनौतियां पेश करता है। यह अनाज अर्थव्यवस्था भारतीय कृषि पर बहुत असर डालेगा।’
उन्होंने कहा है कि एनएफएसबी के तहत कार्यनीति की दीर्घकालिक व्यावहार्यता का सावचेत विश्लेषण होना चाहिए तथा राष्ट्रीय हित में उस पर बहस होनी चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 24, 2012, 15:30