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खुदरा क्षेत्र में FDI की नीति में हस्तक्षेप से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

खुदरा क्षेत्र में FDI की नीति में हस्तक्षेप से सुप्रीम कोर्ट का इंकार नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने की केंद्र की नीति में रविवार को हस्तक्षेप से इंकार करते हुए कहा कि संसद में यदि यह टिक नहीं सकी तो इसे सरकार को झेलना होगा।

न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा और न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे की खंडपीठ ने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के केंद्र के निर्णय के खिलाफ वकील मनोहन लाल शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की।

न्यायाधीशों ने कहा कि नीति तैयार करना कार्यपालिका का विशेषाधिकार है। न्यायाधीशों ने यह नीति संसद में पेश करने का सरकार को निर्देश देने से इंकार करते हुए कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में वह खुद भी ऐसा कर सकती है।

न्यायालय ने कहा कि सरकार द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीति संसद में पेश नहीं करने की आशंका ‘निराधार’ है। न्यायालय ने इसके साथ ही इस जनहित याचिका की सुनवाई शीतकालीन सत्र के बाद अगले साल 22 जनवरी के लिए स्थगित कर दी।

न्यायाधीशों ने कहा,‘आप (याचिकाकर्ता) यह मान रहे हैं कि इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा। आपका यह अनुमान बेबुनियाद है। हम इस बारे में संसद के सत्र के बाद ही जान सकेंगे। देखते हैं कि क्या इसे संसद के समक्ष पेश किया जाता है या नहीं और फिर हम देखेंगे।’

न्यायाधीशों ने कहा,‘ये उनका जोखिम है। वे जोखिम उठा सकते हैं। यदि उनकी कार्रवाई संसद में टिक नहीं सकी तो फिर वे इस नीति को ही संकट मे डालेंगे।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने के लिए फेमा कानून, 1999 की धारा 48 के अनुसार इस कानून के तहत बने प्रत्येक नियम और विनियमन को संसद के समक्ष पेश करना चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Monday, November 5, 2012, 21:27

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