Last Updated: Friday, September 14, 2012, 22:19
मथुरा : पालतू और जंगली जानवरों को खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) के कारण सरकार को हर साल 20,000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष नुकसान हो रहा है। आईसीएआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज यह जानकारी दी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पशु विज्ञान विभाग के उप महानिदेशक के.एम.एल. पाठक ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘यह 20,000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष नुकसान है। अप्रत्यक्ष नुकसान कहीं अधिक होगा।’ यहां दीन दयाल उपाध्याय वेटनरी विवि में देश के विभिन्न राज्यों के पशुपालन विभाग के प्रमुखों की उच्च स्तरीय बैठक में उन्होंने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, `सरकार 12वीं पंचवर्षीय योजनावधि (वर्ष 2012-17) में कम से कम इस बीमारी को नियंत्रित करने के बारे में तैयारी कर रही है। यह भैंसों के मांस के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।` छोटे किसानों के मवेशी अगर इस बीमारी से प्रभावित होते हैं तो वे बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
उन्होंने कहा, `न केवल मवेशी से दूध का उत्पादन प्रभावित होता है बल्कि किसानों को उन मवेशियों के इलाज के लिए खर्च करना पड़ता है।` उन्होंने कहा कि इस बीमारी को नियंत्रित करने के मामले में हरियाणा शीर्ष पर है और विभिन्न राज्य हरियाणा मॉडल को अपनाकर जीडीपी में 30 प्रतिशत का योगदान कर सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 14, 2012, 22:19