Last Updated: Wednesday, March 13, 2013, 19:25

नई दिल्ली : विश्व बैंक ने भारत में विकास और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिये चार साल तक हर साल 3 से 5 अरब डालर की ऋण सहायता उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है।
विश्वबैंक अध्यक्ष जिम योंग किम ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘‘विश्व बैंक भारत के लिये अगले चार साल तक सालाना 3 से 5 अरब डालर की सहायता के स्तर को बनाये रखने का प्रयास करेगा।’’ विश्वबैंक ने समूह जून 2012 में समाप्त वर्ष के दौरान भारत को विभिन्न परियोजनाओं के लिये 3.2 अरब डालर का ऋण मंजूर किया जिसमें राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन भी शामिल है।
विश्वबैंक का अध्यक्ष बनने के बाद किम की यह पहली भारत यात्रा है। पिछले साल अध्यक्ष बने किम तीन दिन की भारत यात्रा पर सोमवार को यहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि भारत की विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार लाने के लिये विश्वबैंक कर्ज के साथ साथ तकनीकी सहायता और ज्ञान आधारित सेवाओं को भी उपलब्ध करायेगा।
इस सवाल पर कि क्या विश्वबैंक क्या भारत के लिये अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) से सस्ती दर के रिण की सुविधा बंद करने जा रहा है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा ‘‘हम आईडीए की रणनीति पर विचार विमर्श कर रहे हैं .. हम इस मामले में यथा संभव नयी सोच अपनाते हुए भारत के लिए अपनी सहायता की प्रतिबद्धता का स्तर बहुत उंचे स्तर पर बनाए रखना चाहेंगे।’’
किम ने कहा कि विश्वबैंक हमेशा ही गरीबों की चिंता करता रहा है और करीब 40 करोड़ गरीब भारत में हैं। किम ने विश्वबैंक समूह के संगठन आईएफसी की निवेश सहायता के महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद है करते हैं कि भारत में विशेषकर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगम (आईएफसी) के जरिये 3 से 5 अरब डालर लगाने से और अरबों डालर के निवेश को प्रोत्साहित करने मदद मिलेगी। हमारा मानना है कि भारत में निवेश बेहतर होगा और यहां हम अपनी संलिप्तता जितनी संभव हो सकेगी उतनी बढ़ायेंगे। इसके लिये हम लचीलापन और सृजनशीलता का हर नुस्खा अपनायेंगे।’’ आईएफसी निजी क्षेत्र को रिण और शेयरपूंजी सुलभ कराने वाली एजेंसी है।
किम ने कहा कि भारत में अगले वित्त वर्ष के लिये अनुमानित 6 प्रतिशत से अधिक आर्थिक वृद्धि हासिल करने की क्षमता है। ‘‘हमें यहां अर्थव्यवस्था में नरमी का दौर समाप्त होने के संकेत दिखे हैं। छह प्रतिशत आर्थिक वृद्धि बहुत ज्यादा नहीं है। भारत में कई काम हो रहे हैं। चुनौती यही है कि कैसे फिर से पुरानी क्षमता पर लौटा जाये।’’ भारत में कारोबार करने के मामले में सरलता के मुद्दे पर किम ने कहा यह मुख्यतौर पर प्रक्रियागत मुद्दा है और इससे निपटा जा सकता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 13, 2013, 19:24