Last Updated: Wednesday, December 26, 2012, 19:30
चंडीगढ़ : देश के केन्द्रीय पूल में सर्वाधिक खाद्यान्न पहुंचाने वाले दो प्रमुख राज्य पंजाब और हरियाणा के किसानों ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 65 रुपये क्विंटल की वृद्धि को खेती लागत में भारी वृद्धि के मद्देनजर ‘अपर्याप्त’ बताते हुए खारिज कर दिया है।
किसानों की मांग है कि केन्द्र सरकार को गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य :एमएसपी: को एम एस स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट के अनुरूप बढ़ाना चाहिये था जिसमें किसानों की पूरी लागत का लगभग 50 प्रतिशत उन्हें मुनाफे के रूप में दिये जाने की सिफारिश की गई थी।
कुछ किसानों ने मजदूरी, उवर्रकों और डीजल कीमतों में भारी वृद्धि को देखते हुए एमएसपी में कम से कम 100 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करने की मांग की। एमएसपी में मामूली वृद्धि से उत्तेजित किसानों ने केन्द्र के किसान विरोधी पहल के खिलाफ धरना आयोजित करने की चेतावनी दी है।
केन्द्र सरकार ने आज गेहूं के एमएसपी को 65 रुपये प्रति बढ़ाकर 1,350 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की है। करनाल स्थित गेहूं उत्पादक वी के कपूर ने आज कहा, गेहूं के एमएसपी में 65 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि अपर्याप्त है तथा गेहूं फसल की लागत के खर्च को देखते हुए काफी कम है।
हरियाणा किसान क्लब के महासचिव कपूर ने कहा, हम चाहते हैं कि एम एस स्वामीनाथन की रिपोर्ट के अनुसार कुल लागत का 50 प्रतिशत गेहूं के एमएसपी में जोड़ा जाये। लेकिन अगर केन्द्र इसे लागू नहीं कर सकता है तो उसे एमएसपी में 100 रुपये प्रति क्विंटल की सम्मानजनक राशि के लगभग वृद्धि करनी चाहिये थी जो किसानों को बढ़ते लागत के मुकाबले कुछ राहत प्रदान करेगा। इस कम एमएसपी के लिए केन्द्र को आड़े हाथ लेते हुए भारतीय किसान यूनियन :लाखोवाल: के अध्यक्ष अजमेर सिंह लाखोवाल ने कहा, हम केन्द्र द्वारा घोषित इस मामूली वृद्धि को स्वीकार नहीं करते हैं। हम 2,250 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी चाहते हैं जो आंकड़ा लागत में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़ने के बाद बनता है। उन्होंने कहा कि देश भर से भारी संख्या में किसान मार्च में दिल्ली में जुटेंगे और केन्द्र की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे।
पंजाब सरकार के कृषि पैनल ने भी 65 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को अपर्यापत बताते हुए एमएसपी में 125 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करने की मांग की। पंजाब राज्य किसान आयोग के अर्थशास्त्री पी एस रांगी ने कहा, अगर कोई मुद्रास्फीति, उवर्रकों, डीजल और मजदूरी लागत में हुई वृद्धि पर विचार करे जो कम से कम एमएसपी में 10 प्रतिशत की वृद्धि होनी चाहिये थी। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 26, 2012, 19:30