गैस मूल्य की स्पष्ट नीति से निवेश बढ़ेगा: मोइली

गैस मूल्य की स्पष्ट नीति से निवेश बढ़ेगा: मोइली

नई दिल्ली : प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव को लेकर उठे विवाद के बीच पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली ने आज कहा कि गैस मूल्य में संशोधन इस क्षेत्र में निवेश करने वाली कंपनियों के साथ होने वाले करार की आवश्यकता के लिहाज से जररी है, इससे निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी।

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ साथ सरकार के तकनीकी सलाहकार हाइड्रोकार्बन महानिदेशक (डीजीएच) भी देश में गहरे समुद्र से उत्पादित प्राकृतिक गैस के दाम को 4.2 डालर प्रति इकाई पर आर्थिक रूप से अव्यावहारिक मानते हैं।

मोइली चाहते हैं कि देश में सभी तरह की घरेलू प्राकृतिक गैस के दाम एकसमान स्तर पर होने चाहिये। उन्होंने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डा. सी. रंगराजन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा सुझाये गये फार्मूले के अनुरूप गैस के दाम रखने का प्रस्ताव किया।

मोइली ने कहा, निवेशक यहां निवेश का फैसला करने से पहले यह जानना चाहते हैं कि हमारी दिशा क्या है। इस मामले में यदि हम अपनी जवाबदेही से मुंह मोड़ेंगे तो कोई निवेश नहीं आयेगा। उन्होंने कहा कि भारत में संसाधनों का व्यापक भंडार है यदि उसका दोहन किया जाये तो देश के 160 अरब डालर के तेल आयात बिल में कटौती की जा सकती है। लेकिन सही मूल्य और नीति रखे बिना ये संसाधन पृथ्वी के भीतर ही कैद रह जायेंगे।

मोइली चाहते हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और निजी क्षेत्र की रिलायंस सहित विभिन्न कंपनियों के लिये प्राकृतिक गैस का बिक्री मूल्य एक समान 6.775 डालर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमबीटीयू) तय होना चाहिये।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गुरदास दासगुपता के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि पेट्रोलियम मंत्री रिलायंस का पक्ष ले रहे हैं, उन्होंने कहा, कानून मंत्री के तौर पर मैंने इस बात पर जोर दिया कि गैस जैसे देश के प्राकृतिक संसाधनों को सरकारी संपत्ति घोषित किया जाना चाहिये। यह लड़ाई रिलायंस के खिलाफ लड़ी गई और वह कहते हैं कि मैं रिलायंस का पक्ष ले रहा हूं। मोइली ने कहा कि गैस के दाम नये सिरे से तय करना कंपनियों के अनुबंध समझौते के लिये आवश्यक हैं। गैस के नये दाम सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिये इसी साल से अमल में आ जायेंगे जबकि रिलायंस को इसका लाभ अगले साल अप्रैल के बाद ही मिल पायेगा, जब मौजूदा समझौता समाप्त होगा।

उन्होंने कहा, हमने रंगराजन समिति द्वारा सुझाये गये दाम के फार्मूले में कुछ संशोधन किया है, हम सीधे वहीं नहीं कह रहे हैं जो समिति ने सिफारिश की है। हम उससे कुछ कम दाम की बात कर रहे हैं और उसपर भी मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति में विचार किया जायेगा। मोइली ने कहा कि निवेशक स्पष्ट नीति जानना चाहते हैं। रंगराजन समिति ने मूल्य संबंधी जो सुझाव दिये हैं वह 12वीं योजना तक वैध रहेंगे। उसके बाद एक अलग समिति की सिफारिशों के आधार पर बाजार में मांग एवं आपूर्ति आधार पर दाम तय किये जायेंगे। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, June 12, 2013, 21:08

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