Last Updated: Sunday, February 5, 2012, 07:38
नई दिल्ली : उद्योग मंडल सीआईआई ने सुझाव दिया है कि सरकार को अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, एफडीआई नीति को उदार करते हुए विदेशी एयरलाइंस को नकदी संकट से जूझ रही भारतीय विमानन कंपनियों में 49 प्रतिशत तक का निवेश करने की अनुमति देनी चाहिए।
सीआईआई ने एक बयान में कहा, ‘उदार एफडीआई व्यवस्था से विदेशी एयरलाइंस को भारतीय विमानन क्षेत्र में भागीदारी का मौका मिलेगा और इससे यह मजबूत होगा। एक व्यापक नीतिगत दिशा की जरूरत है, जिससे मौजूदा संकट को दूर किया जा सके और भविष्य के विकास का रास्ता तैयार हो सके।’
सीआईआई ने कहा कि एफडीआई के नियमों को उदार किए जाने से हेज फंड्स और निजी इक्विटी समूह सहित विदेशी निवेशकों में भरोसा कायम हो सकेगा। फिलहाल देश की विमानन कंपनियों में गैर विमानन क्षेत्र की विदेशी कंपनियों को 49 प्रतिशत के निवेश की अनुमति है। विदेशी एयरलाइंस को अभी सुरक्षा कारणों से भारतीय विमानन कंपनियों में निवेश की अनुमति नहीं है।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह की 9 फरवरी को बैठक हो रही है, जिसमें इस मसले पर चर्चा होने की संभावना है। सीआईआई ने सरकार से देश में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल :एमआरओ: कारोबार को बढ़ाने को भी कहा है। साथ ही उसने करांे तथा सीमा शुल्क को तर्कसंगत बनाने का सुझाव दिया है।
उद्योग मंडल ने बताया कि भारत में किसी विमान की सर्विसिंग पर 12.36 प्रतिश त का कर लगता है। विदेशों में इस तरह का कोई कर नहीं लगाया जाता। इसी तरह कलपुजरें के आयात पर 25.4 प्रतिशत का सीमा शुल्क लिया जाता है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, February 5, 2012, 21:16