Last Updated: Tuesday, April 16, 2013, 15:35

टोरंटो : वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने साफ किया है कि किसी भी देश के साथ पारस्परिक निवेश सुरक्षा समझौता घरेलू न्यायिक संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र में होगा और भारत उसके फैसले को विदेशी अदालत या पंचाट में ले जाने की छूट नहीं देगा।
चिदंबरम ने सोमवार को यहां कनाडा-इंडिया बिजनेस काउंसिल (सी-आईबीसी) द्वारा सुबह के नाश्ते पर आयोजित बैठक में कहा ‘हम देश के उच्चतम न्यायालय को किसी विदेशी अदालत या पंचाट के क्षेत्राधिकार में चुनौती दिए जाने की इजाजत नहीं दे सकते।’
चिदंबरम ने कहा, ‘क्या आप चाहेंगे कि कनाडा का उच्चतम न्यायालय किसी अन्य देश की अदालात या पंचाट के अधीन हो।’
चिदंबरम सी-आईबीसी के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी पीटर सदरलैंड के प्रश्न का जवाब दे रहे थे जो जानना चाहते थे कि कनाडा भारत के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि (एफआईपीपीए) अभी किस हाल में है।
मंत्री ने कहा,‘हमने केवल कनाडा के साथ होने वाली विदेशी निवेश संवर्धन एवं सुरक्षा संधि (एफआईपीपीए) को ही नहीं रोका है, बल्कि 83 अन्य देशों के मामले में भी ऐसा किया गया है। ऐसा दो प्रमुख कानूनी मुद्दों - वाणिज्यिक विवाद की स्थिति में किसी विदेशी निवेशक द्वारा संप्रभु देश पर मुकदमा दायर करने का अधिकार और न्यायाधिकार क्षेत्र - के मद्देनजर किया गया है। इन सभी समझौतों की समीक्षा की जा रही है।’
हालांकि उन्होंने आश्वस्त किया कि व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सेपा) और एफआईपीपीए दोनों समझौते जल्द होंगे।
कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर की पिछले नवंबर में हुई भारत यात्रा का हवाला देते हुए चिदंबरम ने कहा कि भारत और कनाडा के बीच लंबा द्विपक्षीय संबंध है जो लोकतंत्र तथा बहुलतावाद के सिद्धांतों और कनाडा में रह रहे भारतीय मूल के 10 लाख लोगों के साथ मजबूत अंतरवैयक्तिक संपर्क के आधार पर विकसित है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 16, 2013, 15:35