Last Updated: Wednesday, May 23, 2012, 23:03
मुंबई : घूसखोरी और वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में भारतीय कंपनियों के कार्यकारी सबसे आगे हैं। अर्न्स्ट एंड यंग द्वारा कराए गए एक सर्वे में 28 प्रतिशत शीर्ष कार्यकारियों ने माना कि नए कारोबार हासिल करने या मौजूदा ग्राहकों को बनाए रखने के लिए वे नकदी में ‘भुगतान’ करना पसंद करते हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक, शीर्ष कार्यकारी अपने फर्जीवाड़े के लिए भविष्य में मुकदमें की कार्रवाई की भी परवाह नहीं करते क्योंकि निदेशक मंडल का उन पर बेहतर निष्पादन करने का भारी दबाव है। सर्वेक्षण के दिलचस्प तथ्य ऐसे समय में सामने आए हैं जब उद्योग जगत और आम जनता संपूर्ण राजनीतिक वर्ग को ‘भ्रष्ट’ करार देने में लगी हुई है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘भारतीय उद्योग जगत से 28 प्रतिशत शीर्ष कार्यकारी नया कारोबार हासिल करने या मौजूदा कारोबार को बनाए रखने के लिए नकद भुगतान करने के इच्छुक होते हैं। वहीं वैश्विक स्तर पर औसतन 15 प्रतिशत कार्यकारी नया कारोबार हासिल करने या मौजूदा कारोबार को बनाए रखने के लिए नकदी भुगतान के इच्छुक हैं।’ सर्वेक्षण के मुताबिक, देश में 16 प्रतिशत कार्यकारियों को लगता है कि कारोबार को बनाए रखने के लिए वित्तीय निष्पादन में हेरफेर करना उचित है।
सर्वेक्षण के नतीजे जारी करते हुए अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया के साझीदार व राष्ट्रीय निदेशक (धोखाधड़ी जांच) अरपिंदर सिंह ने कहा, ‘यद्यपि भारत एक पसंदीदा निवेश स्थल बना हुआ है, बाजार के समक्ष नैतिक मूल्यों के साथ समझौता करने की चुनौती है।’ (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 23, 2012, 23:03