Last Updated: Friday, October 5, 2012, 13:47

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली : आर्थिक क्षेत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नए बैंकों को खोले जाने की अनुमति देने की तैयारी में है। एक अखबार के हवाले से शुक्रवार को यह रिपोर्ट आई कि नए बैंकों के लाइसेंस के लिए आवेदनों को आमंत्रित करने के लिए तैयारी अंतिम चरण में है।
इस बात की संभावना है कि आरबीआई चार नए बैंकों को खोले जाने पर अनुमति देने का विचार कर रही है। प्रत्येक बैंक के लिए न्यूनतम पूंजी की अनिवार्यता 1,000 करोड़ रुपये हो सकती है।
गौर हो कि रिजर्व बैंक ने पिछले साल 29 अगस्त को अपनी वेबसाइट पर निजी क्षेत्रों में नए बैंकों के लाइसेंस संबंधी एक ड्राफ्ट गाइडलाइंस को जारी किया था। केंद्रीय बैंक ने इस ड्राफ्ट गाइडलाइंस पर बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों, उद्योग घरानों, अन्य प्रतिष्ठानों से सुझाव और प्रतिक्रिया मांगे थे।
सरकार के एक आला सूत्र के हवाले से दैनिक इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 30 अक्टूबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा जारी करने से पहले इस संबंध में अंतिम गाइडलाइंस जारी करेगा। अखबार के अनुसार, रियल स्टेट और कंस्ट्रक्शन में पूरी तरह संलग्न उद्योग घरानों और कंपनियों को बैंकों के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। ऐसा तभी किया जाएगा जब संसद में इस संबंधी विधेयक पारित होगा।
गौर हो कि देश में नए निजी बैंकों के लाइसेंस से संबंधित बहुप्रतीक्षित दिशानिर्देशों का प्रारूप रिजर्व बैंक ने पिछले साल जारी किया था। जिसमें प्रावधान था कि इन बैंकों में पहले पांच साल तक विदेशी हिस्सेदारी 49 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकेगी। इन दिशानिर्देशों के मुताबिक, नए निजी बैंक केवल पूर्ण स्वामित्व वाली गैर संचालित होल्डिंग कंपनी के जरिये ही स्थापित किए जा सकेंगे। दिशानिर्देशों का प्रारूप केंद्रीय बैंक ने अपनी वेबसाइट पर जारी किया था। इस पर आरबीआइ ने बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों, उद्योग समूहों, अन्य संस्थानों और आम जनता से 31 अक्टूबर, 2011 तक प्रतिक्रिया मांगी थी। प्रतिक्रिया, टिप्पणियां और सुझाव मिलने के बाद निजी क्षेत्र में नए बैंक स्थापित करने के लिए अंतिम दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे। इसके साथ ही नए बैंकों के लिए आवेदन मंगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, यदि कंपनी लाइसेंस मिलने के पहले पांच साल में अतिरिक्त इक्विटी जुटाती है तो वह अगले पांच साल तक बढ़ी हुई अतिरिक्त इक्विटी पूंजी का 40 प्रतिशत अपने पास रख पाएगी। उसके बाद होल्डिंग कंपनी को इक्विटी पूंजी को दस साल में 20 प्रतिशत तक और 12 साल में 15 फीसदी तक सीमित करना होगा।
First Published: Friday, October 5, 2012, 10:05