Last Updated: Sunday, April 28, 2013, 13:12
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार चिटफंड कंपनियों पर नियंत्रण रखने के लिए नया विधेयक लाने की तैयारी कर रही है लेकिन इसे पिछली तारीख से प्रभावी करने के उसके निर्णय ने बहस छेड़ दी है कि क्या यह विधेयक न्यायिक मापदंडों पर खरा उतरेगा या नहीं। राज्य में संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि वित्तीय प्रतिष्ठानों में जमाकर्ताओं के हित संरक्षण के लिए नया विधेयक पिछली तारीख से प्रभावी होगा।
यह नया विधेयक पश्चिम बंगाल जमाकर्ताओं के हित संरक्षण विधेयक 2009 का स्थान लेगा जिसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया था लेकिन उसे उनकी मंजूरी नहीं मिली। विधेयक को राज्य सरकार को वापस भेज दिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब नया विधेयक कानून का रूप ले लेगा तो सारदा समूह जैसे घोटालों से प्रभावशाली ढंग से निपटा जा सकेगा। नया विधेयक अधिक कठोर होगा।’’ उन्होंने कहा कि पहले विधेयक में केवल प्रतिष्ठानों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता था लेकिन नया विधेयक सरकार को व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का अधिकार देगा।
नए विधेयक के पिछली तारीख से प्रभावी होने को लेकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि उन्होंने यह विधेयक नहीं देखा है लेकिन पिछली तारीख से प्रभावी विधेयक के अनुसार अपराध तय नहीं किया जा सकता। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हाशिम अब्दुल हलीम ने भी चटर्जी के सुर में सुर मिलाते हुए कहा , ‘‘नए विधेयक को पिछली तारीख से लागू करके दो वर्ष पहले किए अपराध के लिए सजा नहीं दी जा सकती।’’ कोलकाता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि इस प्रकार के विधेयक को अदालत में चुनौती दी जा सकती है। सरकार सभी कानूनों को पिछली तारीख से लागू नहीं कर सकतीं। इस विधेयक को पारित करने के लिए 29 और 30 अप्रैल को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, April 28, 2013, 13:12