Last Updated: Friday, December 7, 2012, 15:47

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकारी खर्चों को पूरा करने के लिए बाजार से अतिरिक्त कर्ज उठाए जाने की संभावनाओं से इनकार किया और कहा कि सरकार बढ़े खर्च को उधारी की वर्ष के लिए तय मौजूदा सीमा में ही पूरा कर लेगी।
उन्होंने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि पेट्रोलियम सब्सिडी पर 28,500 करोड़ रुपए, एयर इंडिया में इक्विटी डालने पर 2,000 करोड़ रुपये और कुछ अन्य छोटी चीजों पर 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसलिए हमें लगता है कि इस राशि को हम मौजूदा ऋण सीमा में ही समायोजित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि फिलहाल हमें नहीं लगता कि जितनी राशि का संकेत दिया गया है उससे अधिक जुटाने की जरूरत है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान बाजार एवं बैंकों से 5.7 लाख करोड़ रुपए ऋण जुटाने का अनुमान लगाया था ताकि उसके आय-व्यय के अंतर को पाटा जा सके। वित्त मंत्री ने इससे पहले कहा था कि राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद के 5.3 फीसदी पर पहुंच सकता है जबकि बजट में चालू वित्त वर्ष में 5.1 फीसदी के राजकोषीय घाटे का अनुमान जाहिर किया गया था।
वित्त वर्ष 2012-13 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) के दौरान राजकोषीय घाटा 3.37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो बजट अनुमान के मुकाबले 65.6 फीसदी अधिक है। वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान ज्यादा रिण इसलिए लिया गया कि 2012-13 की दूसरी छमाही में जब व्यावसायिक गतिविधियों में तेजी रहती है, निजी क्षेत्र के लिए जरुरत के मुताबिक पूंजी उपलब्ध कराई जा सके। सरकार ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान दो लाख करोड़ रुपए का रिण लेने का प्रस्ताव किया है। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 7, 2012, 15:47