Last Updated: Thursday, February 14, 2013, 18:06
नई दिल्ली : चुनावों में पार्टियों और उम्मीदवारों की तरफ से तय सीमा से अधिक बेहिसाब खर्च पर चिंता व्यक्त करते हुए देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने चुनावों को पारदर्शी बनाने के लिए 5,000 करोड़ रुपए का सार्वजनिक कोष बनाने का सुझाव दिया है। इस साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए एसोचैम की यह पहल महत्वपूर्ण है। एसोचैम ने इस बारे में एक अध्ययन तैयार किया है। इसमें पार्टियों और उम्मीदवारों के चुनाव खर्च के लिए सरकारी कोष से धन उपलब्ध कराने का सुझाव दिया गया है।
स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हर साल 1,000 करोड़ रुपए का कोष चुनाव खर्च के लिए रखा जाना चाहिए। पांच साल में यह राशि 5,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्येक राज्य में अलग-अलग कोष बनाए जाने चाहिए।’ संसदीय और विधानसभा चुनावों के लिए सार्वजनिक कोष पर तैयार एसोचैम के अध्ययन में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में प्रति उम्मीदवार 40 लाख रुपए खर्च सीमा तय है लेकिन वास्तविकता यह है कि खर्च इससे कहीं अधिक होता है। इसके धन के स्रोत की जानकारी नहीं दी जाती। चुनाव आयोग को प्रत्येक उम्मीदवार के चुनाव खर्च के हिसाब किताब की लेखा परीक्षा करानी चाहिए।
एसोचैम प्रत्यक्ष कर राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष वेद जैन, कानूनी परिषद के आर.के. हंदू तथा महासचिव डी.एस. रावत ने आज यहां एक कार्यक्रम में उद्योग मंडल की ‘फंडिग ऑफ पार्लियामेंटरी-एसेंबली इलेक्शंस’ नामक रिपोर्ट को जारी किया। (एजेंसी)
First Published: Thursday, February 14, 2013, 18:06