जानिये, ये हैं रुपये के लगातार गिरने के 10 कारण

जानिये, ये हैं रुपये के लगातार गिरने के 10 कारण

जानिये, ये हैं रुपये के लगातार गिरने के 10 कारणनई दिल्ली : देश की मुद्रा रुपया पिछले कुछ दिनों से रोजाना डॉलर के मुकाबले नया-नया ऐतिहासिक निचला स्तर छूता जा रहा है। इस साल इसका अब तक 16 फीसदी अवमूल्यन हो चुका है। विशेषज्ञों के मुताबिक रुपये के रोजाना हो रहे अवमूल्यन के 10 कारण इस प्रकार हैं:-

-बढ़ता चालू खाता घाटा: इसके कारण डॉलर और अन्य परिवर्तनीय मुद्राओं की वास्तविक और काल्पनिक मांग बढ़ती जा रही है।

-नीतिगत गतिरोध: नीतिगत मोर्चे पर अस्पष्टता की छवि बनने के कारण भी विदेशी मुद्राओं की काल्पनिक मांग बढ़ रही है। अस्पष्टता का आलम यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने एक दिन कहा कि वह तरलता घटाएगा, जबकि एक अन्य दिन उसने कहा कि वह बाजार में एक अरब डॉलर तरलता का संचार करेगा।

-विदेशी पूंजी भंडार का छोटा आकार: देश का विदेशी पूंजी भंडार सिर्फ सात महीने के आयात का खर्च उठा सकता है। हाल के महीने में इसमें गिरावट आई है। भंडार छोटा होने के कारण रिजर्व बैंक आक्रामक रूप से मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।

-आर्थिक विकास दर कम रहना: देश की आर्थिक विकास दर 2012-13 में घटकर पांच फीसदी दर्ज की गई। इस साल स्थिति में अधिक सुधार की उम्मीद नहीं है। विकास दर कम रहने के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।

-विदेशी धन पर निर्भरता: पिछले कई सालों से देश के चालू खाता घाटे का वित्तीयन विदेशी धन से हो रहा है। विदेशी निवेशक द्वारा पैसे निकाले जाने से रुपये में कमजोरी आ रही है।

-अमेरिका में तेजी: अमेरिका में धीमे-धीमे आर्थिक स्थिति ठीक होने के कारण डॉलर अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो रहा है।

-प्रोत्साहन की वापसी: अमेरिका में मंदी के बाद कुछ सालों से जारी वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज के समाप्त किए जाने या कम किए जाने के संकेत से विकासशील अर्थव्यवस्था को मिल रही पूंजी रुक सकती है।

-पूंजी नियंत्रण: भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार द्वारा पूंजी प्रवाह को कुछ समय के लिए नियंत्रित करने के फैसले का बाजार पर अनुकूल प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि इससे भारतीय कंपनियां विदेशी निवेश से हतोत्साहित होंगी और विदेशी कंपनियां भी भारत में पूंजी लगाने से हतोत्साहित होंगी।

-अन्य बाजारों की चाल: रुपये की चाल ब्राजील, इंडोनेशिया, रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसी अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भी मुद्राओं की चाल के जैसी है।

-सटोरिया कारोबार: मुद्रा बाजार में सटोरिया कारोबार का भी रुपये पर दबाव बन रहा है। (एजेंसी)

First Published: Friday, August 23, 2013, 10:21

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